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Friday, 12 February 2021

1555 अचरज तू काहे करे (कुंडलिया छंद)

 अचरज तू काहे करे, सुन दुनिया का हाल।

 हर तरफ मचा है यहाँ, दंगा और बवाल ।


दंगा और बवाल ,रोक सके तो रोक ।

अगर न कुछ कर पाय, फिर क्या सुधरे परलोक ।

क्या सुधरे परलोक ,बैठा रहे जो सज धज।

 बिगडे़गा इह लोक ,फिर न करना तू अचरज।

13.06pm 12 Feb 2020

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