किधर को निकले ,किधर चल पड़े .
निकलते ही फासले हो गए खड़े .
किससे करें शिकायत किससे करें गिले।
जो मिले रास्ते में, उनसे न दिल मिले ।
तमन्ना थी बड़ी, मंजिल को पाने की।
पर जिंदगी को पड़ी थी हमें आजमाने की।
हम भी ढीठों की तरह रहे अड़े।
तभी तो हम आज बन पाए बड़े।
14.51pm 08 Feb 2021
2 comments:
बढ़िया कहा, कुछ पाने के लिए ढीठ तो बनना पड़ता है।
Thanks ji
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