Followers

Thursday 4 March 2021

1575 Gazal गज़ल :मैं ही बस इक फजूल हूँ शायद

2122 12 12 22 

काफि़या :ऊल, Qafia Ool

रदीफ़ : हूँ शायद, Radeef Hun Shayad

सोचा, गजरे का फूल हूँ शायद ।

तेरे कदमों की धूल हूँ शायद।


हर कोई है तेरे लिए अपना ।

मैं ही बस इक फिजूल हूँ शायद ।


सबकी बातें कुबूल है लेकिन।  

मैं नहीं बस कुबूल हूँ शायद।


 यूँ ना ठुकरा मुझे मेरे हमदम ।

मैं ही तेरा रसूल हूँ शायद ।

(messenger of god) 

मुड़ के इक बार देख तो मुझको।

 मैं ही तेरा हुसूल हूंँ शायद।

(achievement) 

 जो बनाए  नियम हैं, तोड़े वो। 

मैं ही बस, इक उसूल हूँ शायद।

4.32pm 4 March 2021