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Monday, 8 March 2021

1579 गीला तकिया

 फुर्सत निकाल दो घड़ी, मेरे सिरहाने बैठ कर।

जान दिल के हाल को,गीले तकिये से बात कर।

काटी है सारी रात हमने ,सोचकर बस तेरे बारे।

जाने इसका हल जरा ,और बात कर हालात पर ।

क्यों यूं तन्हा छोड़ कर चला जाता है तू इसकदर।

देखता है फिर नहीं कभी, नजर तू अपनी मोड़ कर।

इतना  क्यों तड़पाते हो कि सह नहीं पाते हैं हम।

चले जाएंगे इस तरह तो, हम इस जहां को छोड़कर।

फिर पछताओगे चाहे जितना ,पर नहीं आएंगे हम, 

फिर न कहना, कि चले गए हम हैं रिश्ता तोड़ कर।

2.57pm 8 March 2021

1 comment:

Rashmi sanjay said...

बहुत खूब!💐💐