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Wednesday, 10 March 2021

1581 Gazal :गज़ल: दर्द देकर कभी तुम यूँ जाना नहीं

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काफि़या: ईं

 गैर मुरद्दफ़ गज़ल


मैंने तुझ पर किया है जो देखो यकीं। 

याद रखना सनम भूल जाना नहीं।


तुमने मुझ पर किया ये जो एहसान है ।

माना तुमको सनम सारे जग से हसीं। 


तेरे ही साए में रहने की चाह है ।

दर्द देकर कभी तुम यूँ जाना नहीं।


जो रहो तुम मेरी आंखों के सामने ।

कुछ न चाहेंगे हम, आसमा ये जमीं। 


जो मिले हो मुझे तुम नसीबो से तो। 

पाली है मैंने जन्नत यहीं हाँ यहीं।

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