यूँ ही याद आ गई उस गुब्बारे वाले की ।
क्यों! भूल गए ना हम उस गुब्बारे वाले को।
बच्चों के उस जादूगर मतवाले को ।
कैसे अपने लाठी पर भांति भांति के ,
खिलौने लटका के आता था वो ,
झुनझुना,गुड़िया ,और ना जाने
क्या-क्या साथ में लाता था ।
खड़े हो जाते थे सब छोटे बच्चे,
आस पास ऊपर मुंह करके ,
देखते, क्या मन को भाता था ।
रंग बिरंगे गुब्बारे टँगे रहते थे,
सबसे ऊपर ,लाठी की नोक पर।
वह भी झुक कर पूछता ,
और कभी बैठ जाता था।
अब कहीं दिखाई नहीं देता,
कहाँ गया, क्या हुआ है उसको,
अब क्या बच्चे बच्चे नहीं रहे हैं या
उनको खेलना भूल गया है।
कहीं मोबाइल ने तो सब नहीं छीन लिया।
कहाँ गया वो जादूगर मतवाला ,
हमारा प्यारा गुब्बारे वाला।
6.10am 11 Match 2021
2 comments:
Very true, old memories recalled
Thanks ji
Post a Comment