बहारों में जब भी मेरे दिल ने खेलना चाहा ।
तभी कुछ ऐसा हुआ कि यह मुरझा गया ।
हौसला कर उनको हाल-ए-दिल जो बताना चाहा ।
तभी कुछ ऐसा हुआ कि यह चुप हो गया ।
मंजिलों की तरफ मैं बड़ा जा रहा था ।
तभी कुछ ऐसा हुआ कि सफर खो गया ।
धड़कते दिल से याद उनको करना जो चाहा ।
न जाने कहाँ कब नींद आई और मैं सो गया ।
सब कुछ होते होते यह जाने क्या हो जाता है ।
जो सोचना है पड़ता ,यह कब,कहाँ,क्या हो गया।
11.20am 01 March 2021
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