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Monday, 1 March 2021

1572 जाने क्या हो जाता है

 बहारों में जब भी मेरे दिल ने खेलना चाहा ।

तभी कुछ ऐसा हुआ कि यह मुरझा गया ।

हौसला कर उनको हाल-ए-दिल जो बताना चाहा ।

तभी कुछ ऐसा हुआ कि यह चुप हो गया ।

मंजिलों की तरफ मैं बड़ा जा रहा था ।

तभी कुछ ऐसा हुआ कि सफर खो गया ।

धड़कते दिल से याद उनको करना जो चाहा ।

न जाने कहाँ कब नींद आई और मैं सो गया ।

सब कुछ होते होते यह जाने क्या हो जाता है ।

जो सोचना है पड़ता ,यह कब,कहाँ,क्या हो गया।

11.20am 01 March 2021

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