जल उठी जब लौ मेरे मन की ।
हर तरफ उजाला हो गया ।
नए फिर तराने यह गाने लगा।
जो कभी मेरा मन था सो गया ।
जब उजाला फैल गया ।
हर तरफ से रंग बरसने लगा ।
बेरंग थी जो महफ़िलें सब,
माहौल उनका रंगीन हो गया।
यह तो मन की ही बात है बस ।
तो क्यों ना मन खिला-खिला रखें ।
दूर करके सब अंधेरे मन के,
तू खिला मन, जैसे मेरा हो गया।
4.25pm 5 March 2021
4 comments:
Nice
वाह वाह वाह
Thanks ji
धन्यवाद
Post a Comment