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Wednesday, 14 April 2021

1616 Gazal गज़ल :उनसे मिलकर है लगती रात नयी

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काफ़िया : आत Qafia Aat

रदीफ़ : नयी Radeef Nai


उनसे मिलकर है लगती रात नयी।

हो गई जैसे कोई बात नयी।


यूं तो डरते  बहुत वो हैं हमसे।

पर लगा रखते फिर भी घात नयी।


मिट गया है वफा का नाम अब तो।

लगता पैदा हुई है जात नयी।


 उनको आदत है बहुत जीतने की।

देनी उनको पड़ेगी मात नयी।


छोड़ दी सारी उलझनें मैंने।

अब बना ली गज़ल हयात(जिंदगी)नयी। 


खो के गजलों में अपनी मुझको अब।

 मिल रही है कोई नशात (खुशी )नयी।

8.07pm 12 April 2021

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