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Thursday, 22 April 2021

1624 Gazal :गज़ल: जिंदगी तो तिलिस्म लगती है

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काफि़या : अल, Qafia : Al

रदीफ़ : तू आहिस्ता ,Radeef : Tu Ahista

जोड़ कर अपना बल, तू आहिस्ता। 

कर सबर और चल तू आहिस्ता ।


जिंदगी यूँ ही चलती रहनी है ।

राह अपनी बदल तू आहिस्ता ।


ठोकरें खाने से न घबराना ।

होगा सब ठीक ,चल तू आहिस्ता ।


ये ज़माना नहीं करेगा कुछ ।

खुद सफर पर निकल तू आहिस्ता।


आती हैं उलझनें तो आने दे ।

खुद निकालेगा हल तू आहिस्ता ।


पीछे हटना न दूसरों को देख  ।

लेके चल अपना बल तू आहिस्ता।


जिंदगी तो तिलिस्म लगती है ।

तोड़ इसका दे छल तू आहिस्ता।

11.48am 22 April 2021

4 comments:

Unknown said...

आदरणीया बेहद खूबसूरत संजीदा।

Unknown said...

बहुत ही अच्छी गजल

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद