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काफि़या : अल, Qafia : Al
रदीफ़ : तू आहिस्ता ,Radeef : Tu Ahista
जोड़ कर अपना बल, तू आहिस्ता।
कर सबर और चल तू आहिस्ता ।
जिंदगी यूँ ही चलती रहनी है ।
राह अपनी बदल तू आहिस्ता ।
ठोकरें खाने से न घबराना ।
होगा सब ठीक ,चल तू आहिस्ता ।
ये ज़माना नहीं करेगा कुछ ।
खुद सफर पर निकल तू आहिस्ता।
आती हैं उलझनें तो आने दे ।
खुद निकालेगा हल तू आहिस्ता ।
पीछे हटना न दूसरों को देख ।
लेके चल अपना बल तू आहिस्ता।
जिंदगी तो तिलिस्म लगती है ।
तोड़ इसका दे छल तू आहिस्ता।
11.48am 22 April 2021
4 comments:
आदरणीया बेहद खूबसूरत संजीदा।
बहुत ही अच्छी गजल
धन्यवाद
धन्यवाद
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