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Sunday, 18 April 2021

1620 Gazal ग़ज़ल वो दिन गए के हंसते थे जब जोर से सभी

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Qlafial ,Aaj काफि़या आज

Radeef Hai, रदीफ़ है

है चल पड़ा ये कैसा यहां पर रिवाज है।

है बिगड़ा बिगड़ा सबका यहां पर मिजा़ज है ।


आंखों से जिनकी पीता था वो खो गई ,लो अब

लेकर के बैठा आज वो भरकर जुजाज(ग्लास) है।


वो दिन गए के हंसते थे जब जोर से सभी।L

तन्हाई और गम का ही बस अब तो राज है ।


मुश्किल किया है जिंदा तो रहना किसान का ।

खाना है चाहता ये तो फिर भी अनाज है।


हर कोई भूल बैठा हुनर अपना है यहां।

अब तो न ही किसी को कोई काम काज है।

11.45am 16 April 2021

2 comments:

Unknown said...

बेहतरीनजज्बे की गहराई

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद