2212 2212 2212
काफि़या : अया
रदीफ़ : है आजकल
क्या मुझको जाने हो गया है आजकल ।
सब कुछ मुझे लगता नया है आजकल ।
मुश्किल हुआ इंसान ऐसा ढूंढना ।
जिसमें बची थोड़ी दया है आजकल ।
हर कोई उतरा बेहयायी पे यहां।
किसमें बची थोड़ी हया है आजकल ।
किसको सिखाओगे यहां तहजीब तुम।
के हर कोई अब बेहया है आजकल ।
बदलाव आना ही है हर युग में, तभी ।
फिर से बदल ,सब कुछ गया है आजकल ।
पीछे पुराने सब तरीके छूटे हैं ।
सब कुछ हुआ देखो ,नया है आजकल।
9.51am 16 April 2021
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