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Friday, 16 April 2021

1618 गज़ल : Gazal :सब कुछ हुआ देखो नया है आजकल।

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काफि़या : अया

रदीफ़ : है आजकल 

क्या मुझको जाने हो गया है आजकल ।

सब कुछ मुझे लगता नया है आजकल ।


मुश्किल हुआ इंसान ऐसा ढूंढना ।

जिसमें बची थोड़ी दया है आजकल ।


हर कोई  उतरा बेहयायी पे यहां।

किसमें बची थोड़ी हया है आजकल ।


किसको सिखाओगे यहां तहजीब तुम।

के हर कोई अब बेहया है आजकल ।


बदलाव आना ही है हर युग में, तभी ।

फिर से बदल ,सब कुछ गया है आजकल ।


पीछे पुराने सब तरीके छूटे हैं ।

सब कुछ हुआ देखो ,नया है आजकल।

9.51am 16 April 2021

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