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Saturday, 17 April 2021

1619 न पल भर का ठिकाना

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कोई आवाज़ दे जो ।

करूं कुछ तब,अलग हो।

के लाऊं चांद तारे ।

कि छू कर मैं गगन को ।

कि बहके घूमते हैं ।

 तू  ले संभाल मन को ।

कि महके फूल लाएं ।

जो महका दें चमन को ।

न हस्ती है किसी की ।

बड़ा फिरता बना जो ।

न पल भर का ठिकाना ।

कि होगा कल कहां वो।

वही है जानता यह ।

हो कल जाने कहां वो।

उसी की वो जलाता ।

रहा बरसो जहां वो।

1.24pm 15 April 2021

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