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Qlafial ,Aaj काफि़या आज
Radeef Hai, रदीफ़ है
है चल पड़ा ये कैसा यहां पर रिवाज है।
है बिगड़ा बिगड़ा सबका यहां पर मिजा़ज है ।
धरती दिखा रही है यहां अपना रूप पर ।
फिर भी ये देख आदमी आता न बाज है ।
कोहराम हर तरफ है मचा देख तो यहाँ
इस आदमी को फिर भी नहीं आती लाज है।
कोई किसी को जीने नहीं देता है यहाँ
कैसी है धरती और ये कैसा समाज है ।
औहदे का भार लेना नहीं चाहता है वो
पर छीन लेना चाहता, उसका ये ताज है।
11.45am 16 April 2021
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