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Saturday 30 September 2023

2518 ओंकारेश्वर

 राजा मान्धाता ने यहाँ नर्मदा किनारे पर्वत पर घोर तप किया।

भगवान शिव को प्रसन्न कर,शिवजी ने प्रकट होने पर वरदान दिया।

उन्होंने यहीं निवास करने का वर शिवजी से माँग लिया। 


तभी से प्रसिद्ध तीर्थ नगरी ओंकार-मान्धाता के रूप में पुकारी जाती है।

जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ।

ओंकारेश्वर की धरती उसी नाम से जानी जाती है।


वेद का पाठ इसके उच्चारण किए बिना नहीं होता।,

इस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। ।

जिसमें 68 तीर्थ, जहांँ 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास होता।


शिव बैठे भोले साथ गोरी, गोद गणेश को लिए। जो

द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है। 

यहां दो मंदिर स्थित हैं,ॐकारेश्वर, ममलेश्वर।


 ओंकारेश्वर नाम से यह धरती जानी जाती है।

गंगाजी में 7 दिन का स्नान जो फल देता है।

वही फल नर्मदा जी के दर्शन मात्र से दे जाती हैं।

8.39pm 30 Sept 2023