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Monday, 16 December 2024

A+ 2961 ग़ज़ल काश कि यह ज़िंदगी

 तबला मैस्ट्रो जाकिर हुसैन जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि

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क़ाफ़िया आए

रदीफ़ काश कि यह ज़िंदगी 

पास मेरे गाते आए काश की ये ज़िंदगी।

मेरे सारे गम भुलाए काश की ये ज़िंदगी।

छांँट के ये काले बादल, निकले सूरज की तरह।

भर के जी फिर मुस्कुराए काश की ये ज़िंदगी।

दूर कितनी त रहे पर, सब खबर मुझको रहे।

तेरे बारे सब बताए काश की ये ज़िंदगी।

तू नहीं तो तेरा साया बात मुझसे आ करें।

मेरी तन्हाई मिटाए काश की ये ज़िंदगी।

भूल जाऊंँ गम पुराने, याद आए कुछ भी ना। 

ज़ोर से मुझको हँसाए, काश की ये ज़िंदगी ।

गम ये सारे छोड़ पीछे, तोड़ बंधन सारे ये।

हर खुशी को साथ लाए काश की ये ज़िंदगी।

बीती चाहे पिछली जैसी, आगे परियों जैसी हो।

'गीत' आकर फिर न जाए काश कि यह ज़िंदगी।

4.47pm 16 Dec 2024

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