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Friday, 20 December 2024

2965 ग़ज़ल आंखें चार का मौसम आया

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क़ाफ़िया आर

रदीफ़ का मौसम आया

बरस बीता तेरे दीदार का मौसम आया।

खुदा की नयमतों से प्यार का मौसम आया।

भरी तन्हाई थी इस जिंदगी में चारों ओर

सुनो फिर प्यार की तकरार का मौसम आया।

बड़ी थी दूरियां जो दरमियां अब तक अपने।

चलो फिर करने आंखें चार का मौसम आया।

मुहब्बत थी मगर कमसिन कली सी थी तब तुम।

के होने लाल ये रुखसार का मौसम आया।

किया इजहार तुमने जो मोहब्बत का था हमसे ।

हमारी ओर से यलगार का मौसम आया। 

तेरे बिन सूना सूना था जहां मेरा अब तक

तू आई तो भरी अबसार (रंगीनियों, मस्तियों)का मौसम आया।

कमी जो 'गीत' अपनी रह गई थी चाहत में।

सनम अब प्यार की भरमार का मौसम आया।

3.22pm 20 Dec 2024

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