2122 1212 22
क़ाफ़िया थे
रदीफ़ फिर
काश दिल का वो हाल कहते फिर।
साथ मिलके कदम बढ़ाते फिर।
चलते हम फिर नदी के धारों से।
साथ ही डूबते उभरते फिर।
याद आती जो दूरी बढ़ जाती।
हम ख्वाबों में आ के मिलते फिर।
साथ चलने का कर लिया वादा।
तुम जो कहते वही तो करते फिर।
खोल देता जो दिल का दरवाजा।
तेरे ही दिल में आके बसते फिर।
जो हमारे विचार मिलते फिर।
संग दोनो ही गीत' चलते फिर।
1.16pm 8 Feb 2024
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