2122 1122 1122 112
क़ाफ़िया आया
रदीफ़ न गया
हम बुलाते रहे पर तुमसे तो आया न गया।
छोड़कर भी तो हमें तुमसे तो जाया न गया।
याद तुमने न किया इक दफा जब छोड़ गए।
मुझसे तो एक भी पल तुमको भुलाया न गया।
जब बिछड़ना लिखा किस्मत में मेरी कैसे मिलें ।
तब ही किस्मत से हमें हमको मिलाया न गया।
राह तकता रहा मिलने की जो तरकीब बने।
रास्ता भी तो कोई तुमसे सुझाया न गया।
थे सजाए कई सपने की मिले प्यार तेरा।
ख्वाब ऐसा भी कोई तुमसे दिखाया न गया ।
आसमां के तुझे तारे मैं कभी दे न सका।
चाह कर भी किया वादा वो निभाया न गया।
थी तमन्ना कोई होता मेरे सपनों का महल।
हाय वो महल कभी मुझसे बनाया न गया।
इक दफ़ा लिख दिया जो नाम तेरा दिल पे सनम।
लाख कोशिश पे भी तो ''गीत' मिटाया न गया।
2.58pm 14 Feb 2025
3 comments:
Very nice
Thanks ji
बहुत सुन्दर
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