Followers

Friday, 14 February 2025

3021 ग़ज़ल तुमसे तो आया न गया


  2122 1122 1122 112

क़ाफ़िया आया

रदीफ़ न गया

हम बुलाते रहे पर तुमसे तो आया न गया।

छोड़कर भी तो हमें तुमसे तो जाया न गया।

याद तुमने न किया इक दफा जब छोड़ दिया।

मुझसे तो एक भी पल तुमको भुलाया न गया।

जब बिछड़ना लिखा किस्मत में मेरी कैसे मिलें ।

तब ही किस्मत से हमें हमको मिलाया न गया।

राह तकता रहा मिलने की जो तरकीब बने।

रास्ता भी तो कोई तुमसे सुझाया न गया।

थे सजाए कई सपने की मिले प्यार तेरा।

ख्वाब ऐसा भी कोई तुमसे दिखाया न गया ।

आसमां के तुझे तारे मैं कभी दे न सका। 

चाह कर भी किया वादा वो निभाया न गया।

थी तमन्ना कोई होता मेरे सपनों का महल। 

हाय वो महल कभी मुझसे बनाया न गया।

इक दफा लिख दिया नाम तेरा दिल पर जो था।

 लाख कोशिश पर भी तो ''गीत' मिटाया न गया।

2.58pm 14 Feb 2025