2122 1212 22
क़ाफ़िया आई
रदीफ़ है
जब से तुझसे नजर मिलाई है।
जिंदगी में बहार आई है।
देखता हूंँ तुझे मैं जी भर के।
जान लेती ये अंगड़ाई है।
दूर तन्हाई सब हुई मेरी।
जबसे पकड़ी तेरी कलाई है।
जिंदगी यह जश्न सी लगती है।
खुशियांँ अपने तू साथ लाई है।
दूर सब मु्श्किलें हुई मेरी।
जब से दिल में मेरे समाई है।
रंग कोमल सफेद फूलों सा।
चांँदनी में तू ज्यूँ नहाई है।
'गीत' बिन जिंदगी अंँधेरी थी।
उसके आने से रोशनाई है।
9.43pm 10 March 2025
1 comment:
Nicely written
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