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Monday, 31 March 2025

3066 Ghazal ग़ज़ल: अकेले अकेले Akele Akele


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क़ाफ़िया आ

रदीफ़ अकेले-अकेले

यहां क्यों है बैठा अकेले-अकेले। 

बता सोचता क्या अकेले-अकेले।

ये जीवन बना इक है मुश्किल पहेली।

ना सुलझा सकेगा अकेले-अकेले।

कई मुश्किलें सामने जो हैं तेरे

तू कैसे लड़ेगा अकेले-अकेले।

बना हमसफर तू किसी को तो अपना। 

तू कब तक चलेगा अकेले-अकेले। 

जो ले साथ अपने किसी को चलेगा। 

तो फिर डर रहेगा अकेले अकेले। 

कोई साथ हो रास्ता लगता आसान। 

तू अब छोड़ चलना अकेले-अकेले।।

मिलें दो जो तब बन ग्याराह हैं जाते।

नहीं कुछ है बनता -अकेले अकेले।

बना हमसफर 'गीत' अपना किसी को।

नहीं कुछ मिलेगा अकेले-अकेले। 

10.56pm 26 March  2025


Qafiya aa
Radif: Akele-Akele

Yahan kyon hai baitha akele-akele?
Bata sochta kya akele-akele?

Ye jeevan bana ek hai mushkil paheli,
Na suljha sakega akele-akele.

Kayi mushkilein saamne jo hain tere,
Tu kaise ladega akele-akele?

Bana humsafar tu kisi ko toh apna,
Tu kab tak chalega akele-akele?

Jo le saath apne kisi ko chalega,
Toh phir dar rahega akele-akele.

Koi saath ho, raasta lagta aasan,
Tu ab chhod chalna akele-akele.

Milen do jo tab ban gyaarah hain jaate,
Nahi kuch hai banta akele-akele.

Bana humsafar 'Geet' apna kisi ko,
Nahi kuch milega akele-akele.

इस बहर पर कुछ मशहूर फिल्मी नगमे और गीत 


 ये महलों ते तख्तों ये ताजों की दुनिया

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