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Saturday, 12 April 2025

3078 ग़ज़ल बोलेगा कौन


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क़ाफ़िया एगा

रदीफ़ कौनन

टूटा ये दिल धोखे से है, रोना मेरा देखेगा कौन। 

है बेवफा वो चाहे पर, उसको मगर बोलेगा कौन। 

गुंचे मेरे खिलने से वो पहले ही थे मुरझा गए।

अब तू बता उजड़े से इन बागों में आ खेलेगा कौन। 

वह आई तो थी जिंदगी में मेरी क्या कहता उसे। 

मुरझा चुके चेहरों को, अब तो साथ में रख्खेगा कौन।

उसने कहा सुन ना सका, टूटा यह दिल बिखरा पड़ा।

चुप सी लगी होठों पे अब, दिल की मेरे बोलेगा कौन।।

कैसा समां आया ये अब टूटे हुए दिखते सभी। 

टूटे सभी बिखरे सभी, इनको तो अब जोड़ेगा कौन। 

पास आओ सब, खिल जाएं सब, मिल के रहें। 

सबका भला अच्छा लगे,बातें मगर सोचेगा कौन।

सुख की फसल हरदम उगे, मौसम रहे बस प्यार का।

संसार में चाहें सभी, ऐसी फसल बीजेगा कौन।

कर फैसला चल 'गीत' अब, हल तू उठा जोतेंगे खेत।

देखें चलो अब प्यार के, इस बीज को बोएगा कौन।

2.08pm 12 April 2025

3 comments:

Anonymous said...

Good one

Anonymous said...

Very nice ji 👌

Anonymous said...

Very nice ji