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Wednesday, 14 February 2018

Z 457 हमारी हंसी (Hamari Hasi)

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हमारी हंसी में वो हमारा गम देख ना सके।
हम उन्हें हंस हंस के दिखाते चले गए।
दर्द सीने में जो छुपा था, वो देख ना सके।
हम उन्हें यूं ही बहलाते चले गए।
बेवफाई उनकी थी हमारी तड़प का सबब।
हम उन पर वफा के फूल बरसाते चले गए।
न जाने वह हमसे दूर हो गए कब।
हम तो ख्वाबों में उनको पास लाते चले गए।
आंख खुली तो हकीकत बड़ी दर्दनाक थी।
हम उनसे दूर क्या हुए सबसे दूर चले गए।
457 14Aug 2003
Hamari Hasi Mai wo Hamara Gham dekh na sake.
Hum Unhain Has Has Ke Dikhate Chale Gaye.
Dard Seene Mein Jo Chupa tha, woh dekh na sake.
Humne Unhain youn Hi Bahlate Chale Gaye.
Bewafai Unki Thi Hamari Tadap ka sabab.
Hum Unpe Wafa Ke Phool Barsaate Chale Gaye.
Na Jaane Woh Humse Dur Ho Gaye kab.
Hum Toh Khabon Mein unko Paas laate Chale Gaye.
Aankh Khuli to Hakikat Badi DardNak Thi.
Hum Unse door kya Huye, sabse Dur Chale Gaye.

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