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Monday, 30 April 2018

542 मिलने की फरियाद करता हूं( Milne Ki Fariyad Karta Hoon)

आ जाओ पास मेरे, मैं तुमको याद करता हूं।
दिन हो चाहे रात तुमसे मिलने की फरियाद करता हूं।
सफर कट गया था, कितने आराम से ,जब तुम मेरे साथ थी।
वही समां फिर पाने की आस करता हूं।

अकेला मैं यूं ही कहाँ तक चलूँ, ए मेरे हमदम।
साथ तेरा पाने की आस करता हूं।
पा लूं तुझे मैं ,ए मेरे हमदम।
दिन हो या रात, तुमसे मिलने की फरियाद करता हूं।

आसान नहीं है सफर जिंदगी का पूरा करना।
जो तू हो तो, तन्हाइयों से इसे मैं आजा़द करता हूं।
शामिल हो मेरे सफर में अब ,ए मेरे दोस्त।
वही समां फिर पाने की आस करता हूँ।
दिन हो चाहे रात........... फरियाद करता हूं।
542 30April 2018
Aa Jao Paas Mere, Main Tumko Yaad Karta Hoon.
Din Ho Chahe Raat , Tumse Milne Ki Fariyad Karta Hoon.
Safar kat gaya tha kitne aaram se ,Jab Tum Mere Sath thi.
Wahi sama Phir Pane Ki Aas Karta Hoon.
Akele Mein Yuhi kahan tak chalu e' mere Humdum.
Sath Tera Pane Ki Aas Karta Hoon.
Palun Tujhe Mein e' Mere hamdam.
Din Ho Ya Raat Tumse Milne Ki Fariyad Karta Hoon.

Aasan Nahi Hai Safar zindagi ka pura karna.
Jotu Ho to tanhaiyon Se ise Main Azaad Karta Hoon.
Shamil Ho Mere safar mein ab, e' mere dost.
Vahi Sama Phir Pane Ki Aas Karta Hoon.
Din Ho Chahe Raat......... Fariyad Karta Hoon.

Sunday, 29 April 2018

541 बाहों में तेरी

बाहों में तेरी एक सुकून सा मिलता है।
दिल मचलता है जब साथ तेरा मिलता है।
सफ़र कटता जाता है आराम से बाहों में तेरी।
थकान कहां जाती है पता ही नहीं चलता है।
बाहों में तेरी एक सुकून सा मिलता है।

बहुत सफर तय हो गया जिंदगी का तेरा साथ पाकर।
पता भी ना चला कहां से कहां आ गए हम।
जब भी अरमानों का जोर चलता है।
हर चीज आसान होती है जब तेरा साथ मिलता है।
बाहों में तेरी एक सुकून सा मिलता।

कोई शह नहीं बनी जो हमें तोड़ सकी।
जिंदगी की राहें रही एक, ना इसे मोड़ सकी।
सफर कटता गया जिंदगी का आराम से।
क्योंकि  जिंदगी को हमेशा साथ तेरा मिलता है।
बाहों में तेरी एक सुकून सा मिलता है।
 29 April 2018

Saturday, 28 April 2018

540 जिंदगी

जिंदगी गुजर जाती है।
 सुबह आती है, शाम जाती है।
ख्याल आते हैं जाते हैं।
 जिंदगी सपने दिखाती है।

लोग मिलते हैं।
 मिल कर बिछड़ते हैं।
जिंदगी यूं ही ,
किसी के काम आती है।

गुजर जाएगी यूं ही,
चलते चलते राहों पर।
कभी होंगे कांटे इसमें।
कभी फूल खिलाती है।

जिंदगी गुजर जाती है।
 सुबह आती है, शाम जाती है।
ख्याल आते हैं जाते हैं।
 जिंदगी सपने दिखाती है।
4.41pm 28 April 2018

Friday, 27 April 2018

Z 539 खुशी समेट ना सका (Khushi Samet Na Saka.)

9788189331894 53095 BookZindgi1

खुशी जो दी तूने मुझे, मैं ही समेट ना सका।
तू किस कदर मुझे प्यार करती है, मैं ही देख ना सका।

 किस्मत ही कुछ ऐसी थी ,कि मैं आगे बढ़ गया।
पीछे जो छूटा ,कभी उसे समेट ना सका।

आज तन्हा हूं अपनी कामयाबियों के साथ।
आज जो मुड़ कर पीछे देखा ,तो तुझे देख ना सका।

 तेरी भी राहें  शायद, जुदा हो गई थी मेरी राहों से।
फिर मिलेंगे न कभी हम बिछड़ के, ये सोच ना सका।

सोचता कुछ तो संभाल लेता ,वक्त को और तुझ को।
पर ऐसे पीछे पड़ा कामयाबी के ,कि तेरा होश ना रहा।

अब पछताने से हासिल भी क्या, क्योंकि।
अब न मैं वो रहा ,ना वक्त वो रहा।
539 27 April 2018
Khushi Jo di Tune Mujhe , Mein Woh Samet Na Saka.
Tu Kis Kadar mujhe pyar karti hai ,main hi dekh Na Saka.

Kismat hi kuch Aisi Thi Ki Mein Aage badh gaya.
 Piche jo chuta ,Kabhi use Samet Na Saka.

Aaj Tanha Hoon apni kamyabion ke sath.
Aaj Jo Mod Ke Piche Dekha, Toh Tujhe Dekh Na Saka.

Teri Bhi Rahain Shayad ,Juda Ho Gayi Thi Meri Rahon Se.
Phir milenge Na Kabhi Hum Bichad Ke, Ye Soch Na Saka.

Sochta Kuch Toh sambhalta wakt Ko or Tujh ko.
Par aise Piche Pada kamyabi ke,k  Tera Hosh Na Raha.

Ab Pachtane se Hasil Bhi Kya. Kyunki,
 Ab Na Main Woh Raha, Na Waqt vo  raha.

Thursday, 26 April 2018

Z 538 मिलेंगे आज बिछड़े यार ( Milenge Aaj Bichde yaar.)

9788189331894 53095 BookZindgi1

मिलेंगे आज बिछड़े यार।
होगी प्यार की बौछार।
आंखों में छलकते आंसू होंगे।
आ जाए ना ,कहीं बाढ़।

मिल बैठेंगे, और, करेंगे बात।
गुजरे जमाने की यादें होंगी।
कुछ नए जमाने की बात।
 मिलेंगे जब बिछड़े यार।

खिलखिलाकर खूब हंसेंगे।
गले मिलेंगे ,और खिलेंगे।
और होगी प्यार की बरसात।
मिलेंगे आज बिछड़े यार।
538 26 April 2018

Milenge Aaj Bichde yaar.
Hogi Pyar ki bauchhar.
Aankhon Mein chalakte Ansu Honge.
 Aajae Na Kahin baar.

Mil baithenge aur Karenge Baat.
Gujare Zamane Ki Yaadein Hongi.
Kuch nae Zamane Ki Baat.
Milenge Jab Bichde yaar.

Khil Khila kar khoob Hansege.
Gali Milenge or khilenge.
Aur Hogi Pyar ki Barsat.
Milenge Aaj Bichde yaar.

Wednesday, 25 April 2018

537 थकान Thkaan)

थक गया हूं जानम, तुझे पुकार के।
 कब आएगी तू मेरे द्वार पे।
 आंखें तरस गई ,  बिन तेरे दीदार के।
थक गया हूं जानम तुझे पुकार के।

आ पास मेरे, दिल को कुछ सुकून तो मिले।
भुला दे, आज तक जितने भी थे शिकवे गिले।
बैठ गया हूं मैं अब,थक हार के।
थक गया हूं जानम तुझे पुकार के।

कितना था सकून जब तू मेरे साथ थी।
खिला हुआ था में ,जिंदगी बहार थी।
मुरझा गया हूं जानम,  बिन तेरे प्यार के।
थक गया हूं जानम तुझे पुकार के।
17.52pm 25 April 2018
Thak Gaya janam Tujhe Pukar ke.
 Kab Aayegi Tu, mere Dwar pe.
Aankhen Taras Gayi Bin Tere Deedar ke.
Thak  Gaya Hun Janam,Tujhe Pukar Ke.

Aa Paas Mere Dil Ko Kuch Sukoon To Mile.
Bhula de, Aaj Tak jitne bhi The Shikwe Gile.
Baith gaya hoon main ab Thak Haar ke.
Thak  Gaya Hun Janam,Tujhe Pukar Ke.

Kitne Tha Sukoon Jab Tu Mere Saath thi.
Khila Hua Tha Main, Zindagi Bahar thi.
Murjha gaye ho jaanam, Bin Tere Pyaar Ke.
Thak  Gaya Hun Janam,Tujhe Pukar Ke.

Tuesday, 24 April 2018

536 नज़रिया (Nazaria)

तुम देखते हो जिंदगी को  जिस नज़र से मेरी नजर वो नहीं।
तुम्हारी नजरों में कीमत बस पैसे की है मेरी नजर पैसे पर नहीं।
कला को देखता हूं मैं जिस नजर से ,तेरे पास वो नजर नहीं।
अंदाज़ मेरा और तेरा है  जुदा जुदा ए मेरे हमसफ़र।
पर तेरी मेरी मंजिल एक है जानेमन ,दो नहीं।
चलना तो हमें  है एक ही रास्ते पर जहां तक भी चलें।
अंदाज़ चाहे देखने के अलग अलग हो हमारे ए दिलनशीं ।
तुम अपनी नजर से देखो मैं अपनी नजर से देखता हूं।
 क्योंकी मंज़िल हमारी एक ही है, दो अलग अलग नहीं।
 24 April 2018
Tum Dekhte Ho Zindagi ko jis Nazar Se, Meri Nazar Woh nahi.
Tumhari nazron mein Keemat bas Paise Ki Hai ,Meri Nazar Paise Par nahi.
Kala ko dekhta hoon Main Jis Nazar Se, Tere Paas Woh Nazar Nahi.
Andaaz Mera aur Tera Hai Juda Juda Aye Mere Humsafar
Teri Meri Manzil ek hai Janeman, Do Nahi .
Chalna to Hame Hai Ek Hi Raste Par, jahan tak bhi Chalein.
Andaaz chahe dekhne ke alag alag Ho Hamare e' dilnashin.
 Tum apni Nazar Se Dekho, Mai apni Nazar Se dekhta hoon.
Kyon Ki Manzil hamari ek hi hai ,do alag alag nahi.

Monday, 23 April 2018

535 जिंदगी के रास्ते (Zindgi Ke Raste)

जिंदगी चली जा रही है अपने ही रास्ते।
 कितना भी रोको, रोक नहीं पाता हूं।
दिशा क्या है इसकी, कुछ समझ आता नहीं।
सोचता ही जाता हूं ,जितना जाता हूं।
दोस्त बना नहीं पाता हूं इसको।
 जितना समझता हूं ,और उलझता जाता हूं।
तस्वीर तेरी साफ नहीं होती।
रंग तेरे समझ नहीं आते।
सफर तो चल रहा है।
 रास्ते समझ नहीं आते।
कट रही है बस यह तो एक तरह।
 जितना समझता हूं, उलझता ही जाता हूँ।
535 24April 2018

Zindagi Chali Ja Rahi Hai Apne Hi Raste.
Kitna Bhi roko rok nahi pata Hoon.
Disha Kya Hai Iski, kuch samajh Aata Nahi.
Sochta Hi Jata Hoon, Jitna Jata Hoon.
Dost Bana nahi pata Hoon Isko.
Jitna samajhta Hoon, aur Ulajhta Jata Hoon.
Tasveer Teri saaf nahi hoti.
Rang tere samajh Nahi Aate.
Safar to chal raha hai.
Raste samajh Nahi Aate.
Kat rahi hai bas yeh toh Ik Tarha.
Jitna samajhta Hoon Ulajhta hi Jata Hoon.

Sunday, 22 April 2018

534 निगाहें नम ना करना(Nigahen Nam Na Karna.)

दूर हो जाऊं मैं  तुमसे ,तो गम ना करना।
जो भी हो ,अपनी निगाहें नम ना करना।
पास रहकर बहुत देखा हमने।
दूर हमसे होने का गम ना करना।
बहुत कुछ करना है अभी तुमने जिंदगी में।
हमारे लिए अपनी आंखें नम न करना।
आंधी आए तूफान आए आगे ही देखना।
मुड़ कर पीछे देखने का की कोशिश ना करना।
आगे बढ़ो गे तो कुछ तो मिलेगा ही।
 पीछे क्या रखा है जो है संभालना।
मिलना बिछड़ना रीत है जिंदगी की।
 मिलने बिछड़ने का तो गम ना करना।
दूर हो जाऊं मैं तुमसे तो गम ना करना।
जो भी हो अपनी निगाहें नम ना करना।
534 22April 2018

Dur Ho Jaun Main Tumse Tuo Gham Na Karna.
Jo bhi ho apni Nigahen Nam Na Karna.
Paas Reh Kar bahut Dekha Humne.
 Dur Humse hone Ka Gham Na Karna.

Bahut kuch karna hai abhi Tumne Zindagi Mein.
Hamare liye apni Aankhein Nam Na Karna.
 Aandhi Aaye ,Toofan Aaye ,aage Hi dekhna.
Mud Kar Piche dekhne Ki Koshish Na Karna.

Aage bado Gye To Kuch Toh Milega hi.
Piche Kya Rakha Hai Jo Hai sambhalna.
Milna bichadna Reet Hai Zindagi Ki.
 Milne Bichdne ka tu Gham Na Karna.

Dur Ho Jaun Main Tumse Tu Gham Na Karna.
 Jo bhi ho apni Nigahen Nam Na Karna.

Saturday, 21 April 2018

533 शाम ए इंतजार (Sham e Intzaar)

हर शाम तेरे इंतजार में बैठते हैं।
कैसे बहलाएं खुद को हम ,जरा बता दो ।
तन्हा काट रहे हैं सफर जिंदगी का ।
कैसे करें इसे पूरा हम, जरा समझा दो ।
 पल-पल गुजरता है चुभता हुआ ।
इस चुभन को  जरा मिटा दो ।
शाम ढलती हुई ,चुभती है।
ये जख्म कैसे भरे, जरा मरहम लगा दो।
आ जाओ अब तो सुकून दे दो मुझे।
तुझे कैसे बुलाएं हम, जरा बता दो।
 21April 2018
Har Sham Tere Intzaar main Baithte Hain.
Kaise Behlayen Khud Ko Hum Zara bata do.
Tanha kat-te Rahe Hain  Safar Zindagi Ka.
Kaise kare ise pura Hum, Zara Samjha do.
Pal Pal Guzarta Hai Chubhta Hua.
Is Chubhan ko zra mita do.
Shaam dhalti Hui Chubhti hai.
yeh Zakham Kaise Bhare ,zara Marham Lga Do.
Aa Jao Ab To Sakoon De Do Mujhe.
 Tujhe Kaise Bulaaen Hum,Zara Bta Do.

Friday, 20 April 2018

532 हवा, बादल और धरती (Hawa,Badal or Dharti)

हवाएं सरसरा कर ना जाने क्या कहना चाहती है।
पेड़ों के पत्ते झूलते हैं दोनों तरफ।
हवाएं न जाने किस और बहना चाहती हैं।

बादल ने भी छेड़ा  है सुर अपनी गड़गड़ाहट का।
बरसने की आहट है ये शायद उसकी।
बिजली ने भी रूप दिखाया चमकाहट का।

धरती सब देख रही है हवा बादल का खेल।
कह रही है करो तुम अपना काम।
तभी होगा मेरा और तुम्हारा बूंदों से मेल।

सभी लगे हैं अपने कर्म में।
देखो सब और हरियाली हुई।
तुम भी कुछ सीखो कुदरत से।
कर्म से कभी ना बदहाली हुई।
मेहनत ही है हर सफलता की कुंजी।
करो मेहनत तो ही होगी सफल जिंदगी।
532 20April 2018
Hawayein sar sara kar na Jaane kya kehna chahti hai.
Pedon ke Patte Jhulte Hain Dono Taraf.
Hawain Na Jane Kis aur Behnna chahti hai.

Badal ne Bhi Cheda Sur apni gadgadahat ka.
Barsne ki Aahat hai yeh Shayad uski.
Bijali ne bhi Roop dikhaya chamkahat Ka.

Dharti Sab dekh rahi hai ,Hawa Badal ka khel.
Keh Rahi Hai Karo Tum apna kaam.
Tabhi Hoga mera tumhara Bundon se mel.

Sabhi Lage Hain Apne Karam Main.
Dekho Sab aur Hariyali Hui.
Tum bhi kuch seekho Kudrat se.
Karam Se Kabhi Na Badhali Hui.
Mehnat hi Hai Har safalta Ki Kunji.
Kro mehnat Tu Hi Hogi Safal Zindagi.

Thursday, 19 April 2018

531 अब और मैं सह नहीं सकता (ab aur main seh nahi sakta)

क्या करूं तुम्हारी इन बेदर्द निगाहों का,
चलाती हो तीर इस तरह, कि सीना चीर देती हो।

हर बार सोचता हूं कि ,अब देंगी प्यार मुझको।
जिस तरह लोगों को, नजरें हसीन देती हो।

प्यार कर मुझको ,मैं भी तो तेरा चाहने वाला हूं।
क्यों मुझे अल्फाज तुम  गमगीन देती हो।

प्यार से तुझको मैंने कई बार है पुकारा।
पर हर बार मेरी उल्फत के शब्द तुम छीन लेती हो।

कुछ करम कर और अपना साथ दे दे मुझको।
क्यों मेरे सपने हसीन, तुम छीन लेती हो।

बहुत हो चुका अब और मैं सह नहीं सकता।
कह दे मुझे तुम मेरे लिए दिल चीर सकती हो।
2.59 pm 19 April 2018

Kya Karoon Tumhari is Bedard Nigahon ka.
Chalati Ho Teer Is Tarah Ki Seena Cheer deti ho.

Har Baar Sochta Hoon Ki Ab den gi Pyar Mujhko.
Jis Tarah logo ko Nazre Haseen Deti Ho.

Pyar Kar Mujhko, main bhi toh tera chahne Wala Hoon.
Kyun Mujhe Alfaaz Tum Gumgeen deti Ho.

Pyar Se Tujhko maine,Kai Baar Hai Pukara.
Par har Baar Meri Ulfat ke shabd Tum, Cheen Leti Ho.

Kuch karam kar, aur Apna Saath De De Mujhko.
Kyun mere sapne Haseen, Tum Cheen Leti Ho.

Bahut ho chuka, ab aur main seh nahi sakta.
Keh do mujhe tum mere liye Dil Cheer Sakti Ho.

Wednesday, 18 April 2018

530 कशमकश (Ksh- m-Ksh)

कशमकश में हूँ ,बता मैं क्या करूँ।
इस पार रहूँ ,ऐ दिल ,या उस पार चलूँ।

जिंदगी के उतार चढ़ाव देख मैं थक गया हूँ।
बीच नदिया के चलूँ, या किनारे पर रहूँ।

कभी इधर कभी उधर लहरें उछाले मारती हैं।
बह जाऊँ लहरों के साथ, या उन पर चलूँ।

कब मिलेगा ठिकाना इस सफर में ए खुदा।
कब तक मैं उम्मीद इसकी लेकर चलूँ।

हौसला बहुत रखकर अब मैं बस बढ़ रहा हूँ।
ए खुदा, सहारा दे मुझे, ये हौंसला ठिकाना पाने तक रखूँ।
530 4.08pm 18 April 2018

Ksh- M-ksh Main Hoon Bata Main Kya Karoon.
Is Paar Rahoon Ae Dil ya Us Paar Chaloon.

Zindagi Ke Utaar chadaav Dekh Kar Main thak gaya hoon.
Beech Nadiya main chaloon,ya main Kinare par Rahoon.

Kabhi idhar Kabhi Udhar ye lehrain Uchalay maarti hain.
Beh jaaun Lehron ke sath ,Yah Un Par Chaloon.

Kab Milega Thikana is safar mein Aye Khuda.
Kab Tak Main Umeed iski Lekar chaloon.
Honsla bahut Rakh kar Ab,bas, main Bade raha hoon.
Aye Khuda ,Sahara De Mujhe, Yeh Honsla Thikana Pane Tak rakhoon.

Tuesday, 17 April 2018

Z 529 मन की बात (Mann Ki Baat)

9788189331894 53095 BookZindgi1

सोचा था दुख बांटोगे तुम मेरा।
तुमसे करूंगा मन की बात।
बात की तो उल्टी पड़ गई।
 तुम तो थे ,गैरों के साथ।

 मन तो ना हल्का हुआ।
और बढ़ गया सीने का भार।
सोचा था दुख बांटोगे तुम मेरा।
तुमसे करूंगा मन की बात।

 गैरों के हुए तुम देखते ही देखते।
और यहां हो गया, मैं बर्बाद।
बात कोई मैं कर ना सका।
दिल ही में रह गए जज्बात।

क्या करें, फिर तन्हा हुए।
तुम्हें मिला गैरों का साथ।
सोचा था दुख बांटोगे तुम मेरा।
तुमसे करूंगा मन की बात।
529 15 April 18
Socha Tha dukh Baantoge Tum Mera.
Tumse Karunga Mann Ki Baat.
Baat ki toh, ulti pad gayi.
Tum Toh Thei Gairon ke sath.

Mann to na Halka hua.
Aur badh Gya Seene ka bhar.
Socha Tha dukh Baantoge Tum Mera.
Tumse Karunga Mann Ki Baat.

Gairon ke Hue Tum, Dekhte hi Dekhte.
Aur Yahan Ho Gaya Mein Barbad.
Baat Koi Main Kar na Saka.
Dil Hi Mein Reh Gae Jazbaat.

Kya Karen, Phir Tanha Hue.
Tumhe Mila Gairon Ka Saath.
Socha Tha Dukh bantaoge Tum Mera.
Tumse Karunga Mann Ki Baat .

Monday, 16 April 2018

528 दर्द को सहना पड़ता है (Dard ko Sehna padta hai)

कुछ पाने से पहले दर्द को सहना पड़ता है।
ख्वाहिशें कुछ भी हों ,घुट घुट के रहना पड़ता है।
तंगदिल लोगों के  साथ रहो तो,
 संगदिल खुद भी बन के रहना पड़ता है।
मेहनत तो करनी ही होगी, रंग जाने कब आए।
हिना को हाथ में लगाकर ,कुछ देर तो रहना पड़ता है।
 निकल जाएंगे दिन और रात यूं ही मेहनत करते करते।
नतीजा जब तक निकले, ठहरना पड़ता है।
528 14 April 2018

Kuch paane se pehle ,Dard ko Sehna padta hai.
Khwahishen Kuch Bhi Hon ,Ghut Ghut Ke Rehna padta. hai
Tang Dil logon ke sath Raho to,
Sangdil Khud bhi Banke Rehna padta hai.
Mehnat toh karni hi hogi ,Rang Jaane Kab Aaye.
Heena Ko Haath Mein Laga kar ,Kuch der to Rehna padta hai.
Nikal Jayenge Din Aur Raat Yuhi mehnat Karte Karte.
Natija jab tak Nikle, Tehrna padta hai.

Sunday, 15 April 2018

Z 527 कविता संग संगीत बना गीत(Kavita sang Sangeet Bana geet )

9788189331894 53095 BookZindgi1

कविता को जब संगीत मिला।
तो एक सुंदर गीत बना।

फिर गूंजे कविता के संग सुर,
 गीत सबका मनमीत बना।
यह मिलन का सफर,
कुछ इस तरह से चला।
घूमा फिर गली गली।
हर दिल को फिर जीत चला।

 शब्द गीत के गूंजे फिर गली गली।
 नाम संगीत का साथ हुआ।
 हर मुख पर फिर गीत बसा।
 साथ उसके संगीत चला।
घूमा फिर गली गली।
हर दिल को फिर जीत चला।

आज फैला है देश-विदेश।
कविता ने नया रूप लिया।
खुद को मिटा संग संगीत,
उसने गीत का रूप लिया।
आज संग संगीत के,
उनके जीवन का नया रीत चला।

घूमा फिर गली गली।
हर दिल को फिर जीत चला।
कविता को जब संगीत मिला।
तो एक सुंदर गीत बना।
527 14 April 2018

Kavita Ko Jab Sangeet Mila.
Toh ek Sundar geet Bana.

Phir Gunje Kavita ke Sang sur.
Geet Sabka Mann meet Bana.
Yeh Milan Ka Safar,
 Kuch Is Tarah Se Chala.
Ghuma Phir Gali Gali.
Har Dil Ko Phir Jeet chala.

Shabad geet ke Gunjay Phir Gali Gali.
Naam Sangeet Ka sath Huwa.
Har mukh par Phir geet Basa.
Sath uskay  Sangeet chala.
Ghuma Phir Gali Gali.
Har Dil Ko Woh fir Jeet chala.

Aaj Phela Hai Desh Videsh.
Kavita Ne naya Roop liya.
Khud Ko Mita Sang sangeet ke.
Usne Geet ka Roop liya.
Aaj sang sangeet ke.
Unke Jivan Ka Naya Reet Chala.

Ghuma Phir Gali Gali.
Har Dil Ko phir  jeet chala.
Kavita Ko Jab Sangeet Mila.
Toh ek Sundar geet Bana.

Saturday, 14 April 2018

526 तुम चाहते हो (Tum Chahte Ho)

तुम्हारी चाहत है मैं वो करूं जो तुम चाहते हो।
 कभी हमारी चाहत के बारे में सोच कर देखा है।

 हर पल तुम्हारी चाहतों से चलते रहे ।
अपनी चाहत को हम मसलते रहे
हमसे जो खुद की ख्वाहिश न पूरी हुई,
तो नाराज हो गए।
कभी हमारी चाहतों को पूरी करने का सोचा है।

 तन्हाइयों में दिन गुजारते हैं।
तुम अपने ही धुन में रहते हो।
 तुम्हारी तरफ देखते हैं चाहतों से।
मगर, खुद ही मैं तुम मग्न रहते हो।
फिर छोड़ देते हैं तुम्हें तुम्हारे हाल पर।
हमारा क्या हाल होता है यह कभी सोचा है।

तन्हाइयों को साथी बनाते हैं।
तुम्हें दूर से देख मन लुभाते हैं।
पास आने की तुम्हें फुर्सत नहीं।
 यूं ही हम अपना मन लगाते हैं।
कैसे गुजार रहे हैं जिंदगी यह कभी तुमने सोचा है।

तुम्हारी चाहत है मैं वो करूं जो तुम चाहते हो।
 कभी हमारी चाहत के बारे में सोच कर देखा है।
14April 2018


Tumhari Chahat Hai Main Woh karun Jo tum chahte ho.
 Kabhi Hamari Chahat ke baare mein Soch kar Dekha Hai.

Har Pal Tumhari chahaton se Chalte Rahe.
 Apni Chahat Ko Hum Maslte Rahe.
Humse Jo Khud Ki Khwahish puri na Hui.
To Naraz ho gaye.
Kabhi Hamari chahaton ko Puri karne ka Socha Hai.

Tanhai Ko Sathi banate hain.
Tumhe Dur Se Dekh  Mann Lubhate Hain.
Paas Aane Ki Tumhe Fursat nahin.
Yuhi Hum Apna Maan Lagate Hain.
Kaise Guzaar Rahe Hain Zindagi, ye kabhi tumne Socha Hai.

Tumhari Chahat Hai Main Woh karun Jo tum chahte ho.
Kabhi Hamari Chahat ke baare mein Soch kar Dekha Hai.

Friday, 13 April 2018

525 चाहत (Chahat)

क्या कहूं कैसे कहूं मैं बेदर्द तुझसे।
हाले दिल तुझको सुनाना चाहता हूं।

मिट गया तेरी उल्फत में मैं ,देख कैसे।
क्या करूं कैसे करूं तुझे अपना बनाना चाहता हूं।

तू बता बेदर्द इतना हो गयाहै तू कैसे।
मैं भी इस दर्द में ,खुद को, आजमाना चाहता हूं।

कर दिया है नाम ऊंचा उल्फत में तेरा।
अब तो बस खुद को मिटाना चाहता हूं।

थक गया  जोड़ कर रखता हुआ मैं खुद को।
अब तो जिस्म को मिट्टी में मिलाना चाहता हूं।
4.35pm 13 April. 2018
Kya Kahoon Kaise Kahoon Main Bedard Tujhse.
Haal E Dil Tujhko Sunana Chahta Hoon.

Mitt Gya Teri Ulfat Mein Main, Dekh Keise.
Kya Karoon ,Kaise Karoon, Tujhe Apna banana Chahta Hoon.

Tu Bata Bedard Itna ho gaya, hai to Kaise.
Main bhi is dead Mein ,Khud Ko ,aazmana Chahta Hoon.

Kar diya hai Naam Uncha Ulfat Mein Tera.
Ab To Bas Khud Ko Mitana Chahata Hoon.

Thak Gaya jodkar Rakhta Hoon Main Khud Ko.
About to Jism ko Mitti me Milana Chahta Hoon.

Thursday, 12 April 2018

Z 524 मुझे अच्छी लगी (Mujhe achi lagi)

9788189331894 53095 BookZindgi1

खिलखिलाती धूप इस सर्दी में अच्छी लगी।
बैठी थी बेकरारी में मैं ,जब लगी झपकी ,तो अच्छी लगी।

गुनगुना रही थी मैं ,अपनी ही धुन में कुछ।
तेरे कानों तक जो मेरी आवाज पहुंँची ,तारीफ तेरी अच्छी लगी।

यूंँ तो जमाने से जूझ रही थी मैं ,अपने अस्तित्व के लिए।
झूठी ही सही, पर तेरी शाबाशी मुझे अच्छी लगी।

यूंँ तो कोई नहीं चाहता मैं ऊपर उठूँ और पा लूँ मंजिल को।
 देख रहे थे लोग कनखियों से ,मुस्कान उनकी फिर भी अच्छी लगी।

जमाना चाहे हो एक तरफ ,और मैं एक तरफ।
मैंने अपना दम नहीं छोड़ा ,और यह हिम्मत अपनी मुझे अच्छी लगी।

पा ही लूंँगी मैं मंजिल को अपनी, चाहे जो कर के देख लो।
जब मंजिल हाथ होगी मेरे ,तो कहना ,कैसी लगी।
524 12 April  2018

Khil Khilati Dhoop is sardi mein acchi lagi.
Baithi thi bekarari Mein Main, Jab Lagi Jhapki, toh acchi lagi.

Gunguna rahi thi Main Apni hi Dhun Mein Lunch.
Tere Kano Tak Jo Meri Awaz Pahunchi ,Tarif Teri acchi lagi.

Yun to Zamane Se Jujh Rahi Thi Main Apne astitav ke liye.
Jhooti he sahi, par Teri shabashi Mujhe, achi lagi.

Yon Tuo Koi Nahi Chahta main Upar Uthu Aur Pa Lun manzil ko.
Dekh Rahe the log kankhiyon se ,Muskan Un Ki Phir Bhi acchi lagi.

Zamana Chahe Ho Ek Taraf, Aur Main Ek Taraf.
Maine Apna Dum nahi choda ,or yeah Himmat apni Mujhe achi lagi.

Pahi Lungi Mein manzil ko apni, Chahe Jo karke dekh lo.
Jab Manzil Hath Hogi Mere, toh Kehna kaisi lagi.

Wednesday, 11 April 2018

E523 डर मत ,तू आगे बढ़(Darr mat tu Aage bad)

डर मत ,तू आगे बढ़।
जोर लगा और मेहनत कर।
मेहनत का फल मीठा मिलेगा।
जितनी होगी मेहनत ,उतना मिलेगा।
मत परवाह कर जलने वालों की।
मंजिलनिहार रही मतवालों की।
जो तेरा हिस्सा है तुझे मिलेगा।
तेरी मेहनत का फल जरुर मिलेगा।

चलना पड़े अंगारों पर तो चल।
पर तू चल ,होकर निश्चल।
बढ़ते रहने का जो एहसास फलेगा।
उस ऊपर वाले का तुझे साथ मिलेगा।

कितनी भी तेज  हों लहरें।
तू अपनी नैया बढ़ाता जा ।जोर लगाता जा।
तुझे उस ऊपर वाले से सहारा मिलेगा।
बड़ा जा, तुझे जरूर किनारा मिलेगा।
523 11 April 2018
Darr mat tu Aage bad.
Zor Laga aur mehanat kar.
Mehnat Ka Phal Meetha milega.
Jitni Hogi mehnat utna milega.

Matt Parvahkar Jalne Walon Ki.
Manzil Nihar Rahi matwalon ki.
Jo Tera hissa Hai ,Tujhe milega.
Teri mehnat Ka Phal Jarur milega.

Chalna pade Angaaron par, Tuo chal.
Par Tu chal ,ho kar Nishchal.
Badhte rehne ka jo Ehsaas phalega.
Us upar wale ka Tujhe Saath Milega.

Kitni bhi Tej Hon leharein.
Tu apni Naiyya badhata Ja. Zor Lagata ja.
Tujhe us upar wale se Sahara milega.
Badhta Ja Tujhe zaroor Kinara Milega.

Tuesday, 10 April 2018

Z 522 बरखा (Barkha)

9788189331894 53095 BookZindgi1

बूंदों ने देखो दस्तक दी।
रिमझिम रिमझिम पानी बरसा।
प्यास मन की बुझा गया।
जो था एक बूंद को तरसा।

छाई घटा घनघोर ।
नाचे चारों ओर मोर।
पागल हुआ मन चित चोर।
छाई घटा घनघोर।

वह देखो हवा बादल ले उड़ा।
सुंदर हो गई गगन की छटा।
आंख मिचोली बिजली खेलें।
बरखा बादल मिलकर खेलें।

बच्चों ने भी किश्ती बनाई।
बाहर ले जा पानी में चलाई।
बह गई नाव पानी में उनकी।
फिर भी चाह बुझी ना मन की।


एक और नाव बनाकर लाया।
फिर पानी पर उसको चलाया।
दूर तक ,उसको जाते देखा।
कितना मजा सबको आया।

बूंदों ने देखो दस्तक दी।
रिमझिम रिमझिम पानी बरसा।
प्यास सब की बुझा गया।
जग था एक बूंद को तरसा।
522 10April 2018
Boondon ne Dastak Di.
Rimjhim Rimjhim Pani barsa.
Pyaas Man ki bujha Gaya.
Jo tha Ek Boond ko tarsa.

Chhai ghtaa ghanghor.
Nache Charon Auor more.
Pagal hua mann chit chor.
Chai Ghata ghanghor.

Veh Dekho Hawa Badal Le uda.
Sundar ho gayi Gagan Ki Chhata.
Aankh Micholi Bijli Khelen.
Barkha Badal Milkar Khelen.

Baccho ne bhi kishti Banayi.
Bahar Leja Pani Mein Chalai.
Beh Gayi naav Paani Mein UnKi.
Phir Bhi Chaha bujhi Na Mann Ki.

Ek Aur Naav Bana kar Laya.
Phir Pani par usko Chalaya.
Dur Tak usko Jate Dekha.
Kitna Maza Sab Ko Aaya.

Bundon ne Dastak Di.
Rimjhim Rimjhim Pani barsa.
Pyaas Sabki Bujha Gaya.
Jhag Tha Ek Boond ko tarsa.

Monday, 9 April 2018

521 नतीजा ज़रूर आएगा (Nateeja Jarur aayega)

मेहनत का नतीजा सामने ज़रूर आएगा।
घबरा मत ,आज नहीं तो कल आएगा।
देखेंगे लोग तेरी मेहनत को,
जब सामने इसका नतीजा आएगा।
घबरा नहीं ,आज नहीं तो कल आएगा।

तू लगा रह, अपनी लगन से।
देखने दे दूसरों को तमाशा दूर से।
तेरी मेहनत का नतीजा ज़रूर निकलेगा।
जो कर्म किया है,तो फल भी आएगा।
घबरा नहीं ,आज नहीं तो कल आएगा।

रोशनी नहीं तो, जुगनू का सहारा ले ले।
पास पतवार नहीं तो , बाहें फैला ले।
नैय्या अपनी तू आगे बढ़ा ले।
वो नैय्या तेरी जरूर पार लगाएगा ।
जो कर्म किया है उसका फल आएगा।
घबरा मत ,आज नहीं तो कल आएगा।
 521 9  April 2018
Mehnat ka Natijaa Jarur aayega.
Ghabra mat ,Aaj nahi toh kal aayega.
Dekhenge log Teri mehnat ko.
Jab Saamne iska natija aayega.
Ghbra nahi, Aaj nahi toh kal aayega.


Tu Laga Rahe apni Lagan se.
Dekhne De dusron ko Tamasha Dur Se.
Teri mehnat ka natija Jarur niklega.
Jo Karam kiya ho toh, Phal Bhi aayega.
Ghabra nahi Aaj nahi toh kal aayega.


Roshni Nahi Tuo, Jugnu ka Sahara le le.
Pass patvaar nahi toh Baahain fhela le.
Naiyya Apni Tu Aage Badha le.
Voice Naiyya Teri Jarur Paar Lagae ga.
Jo Karam kiya ho toh phal bhi aayega.
Ghabra mat ,Aaj nahi toh kal aayega.

Sunday, 8 April 2018

Z 520 बेटी (Beti) Daughter

9788189331894 53095 BookZindgi1

बेटी तुम महान हो,
मां बाप का अभिमान हो।
तुमसे गौरव मेरे देश का,
 इस देश का तुम सम्मान हो।

तुम्हारे बढ़ते कदम देश को,
हर पल आगे ले जाएंगे।
 मां-बाप की मेहनत का,
सही शब्दों में तुम ईनाम हो।


बेटी का सम्मान हो,
उसको राह दिखाओ तुम।
वह देश का गौरव बढ़ाएगी,
उसका जो गुणगान हो।

बेटियों के पंख खुलने दो,
 उनको हवा में तुम उड़ने दो।
 जो पास तुम्हारी बेटी है,
 इसका तुम्हें अभिमान हो।
 520 08April2018
Beti Tum Mahan Ho.
Maa Baap Ka Abhiman Ho.
Tumse Gaurav Mere Desh Ka.
 Is Desh Ka Tum Samman Ho.

Tumhare badhte Kadam deshko,
Har Pal Aage Le Jayenge.
Maa Baap Ki mehnat ka,
Sahi shabdo mein tum Inaam ho.

Beti ka Samman Ho.
Usko Raah dikhao Tum.
Veh desh ka Gaurav badaegi.
Uska jo Gungaan Ho.

Betiyon ke Pankh khulne do.
Unko Hawa Mein Tum UdneDo.
Jo Paas Tumhare Beti Hai  .
iska Tumhe Abhiman Ho .

(English Translation)

 My dear daughter,You are great.
We are  proud  parents.
You are the pride of my country,
 You are  honor for this country.

Your growing steps take country  to new heights every moment .
Parents' hard work,
You are a prize in the right words.


To Dear daughter,
Show her the way.
She will make the country proud,
Praise be to her.

Let the daughters open their wings,
 Let them fly in the air.
 Who has daughters,
 They should proud themselves .

Saturday, 7 April 2018

519 ना मुलाकात हुई (Na Mulakat Hui)

एक ही राह पर चले थे एक साथ।
फिर क्यों ना हमारी मंजिल एक हुई।
ख्यालात ही ना मिले आपस में,
इसीलिए शायद बिछड़ने की बात हुई।


कोई दो इंसान एक जैसे नहीं होते।
क्यों सबको अपन सा वो बनाने लगे।
उलझें फिर  ख्यालात आपस में,
ना फिर मिलने की कभी बात हुई।

समां गुजरा, तकदीर बदली।
दिन गुजरा, रात हुई।
किस्मतें सब की बदलती रही,
फिर भी ना कभी मुलाकात हुई।

आज सब अपने मुकाम पर पहुंचे हैं,
मग्न हैं सब अपनी ही धुन में।
याद शायद कोई करता नहीं किसी को
इसीलिए ना आज तक मुलाकात हुई।
 519  7April 2018
Ek Hi Rah par Chale the Ek sath.
Phir Kyon Na Hamari Manzil Ek Hui.
Khayalat Hi Na Mile aapas mein,
Isliye Shayad bichadne ki baat hui.


Koi do Insan Ek Jaise nahi hote.
Kyun Sab Ko Apna Sa Woh Banane Lage.
Ulzhe Phir Khayalaat aapas mein.
Na Phir Milne Ki kabhi baat hui.

Sama Gujara, Taqdeer Badli.
Din Gujare , Raat Hui.
Qismat sab ki Badalti Rahi.
Phir Bhi Na Kabhi Mulakat Hui.

Aaj Sab Apne Mukam par pahunche hain.
Magan Hain Sab apni hi Dhun Mein.
Yaad Shayad Koi Karta Nahi Kisi Ko.
Isliye na Aaj Tak Mulakat Hui.

Friday, 6 April 2018

518 तेरी मंजिल तुझे मिलेगी (Teri Manzil Tujhe milegi)

तू कर कोशिश ,कामयाबी तुझे मिलेगी।
 आज नहीं तो बंदे ,तुझे कल मिलेगी।

घबराना नहीं ,बढ़ते ही जाना।
मंजिल तो वहीं खड़ी है, जरूर मिलेगी।

मत भाव देना उलझाने वालों को।
अगर, तेरी लगन सच्ची है, तो जरूर मिलेगी।

मेहनत करते जाना, आगे बढ़ते जाना।
 वह तेरी है, तुझे ही मिलेगी।
518 6 April 2018
Tu kar koshish ,kamyabi Tujhe milegi.
Aaj nahi to Bande, tujhe kal milegi.

Ghabrana Nahi , badhte Hi Jana.
Manzil toh wahin khadi hai, zaroor milegi.

Mat Bhav Dena Uljhane Walon Ko.
Agar Teri Lagan Sachi hai, toh zaroor milegi.

Mehnat Karte Jana, Aage badhte Jana.
Veh Teri Hai, Tujhe hi milegi.

Thursday, 5 April 2018

517 चिड़िया और हम (Chidiya Aur Hum)

चिड़िया चहचहाती है।
फूल मुस्कुराते हैं।
भंवरो  को देखो।
कैसे गुनगुनाते हैं।

पिद्दी चिड़िया कुदाती है।
गीत प्यार के गाती है।
कोयल कु कू करके।
सबका मन लुभाती है।

शाम हुई है।
सब पंछी ची ची करते हैं।
हम भी इनके रसीले गीतों से,
अपने दिल को खुश करते हैं।
आओ सब इनका ध्यान रखें।
इस गर्मी के मौसम में,
इन को पानी और खान-पान रखें।
517 5 April 2018
Chidiya Chehchahti hai.
Fool muskurate Hain.
Bambaron Ko Dekho,
Kaise Gun Gunaate Hain.


Piddi Chidiya Kudaati Hai.
Geet Pyar Ke Gati Hai.
Koyal Ku Ku Karke,
Sab Kaa mann Lubhaati Hai.

Shaam Hui Hai,
Sab panchi chi chi Karte Hain.
Hum Bhi inke Raseele Geeton se.
Apne dil ko Khush Karte Hain.

Aaow Sab in Ka Dhyan Rakhein.
Is Garmi Ke Mausam Mein,
In Ko Pani Aur Khaan Paan Rakhein.

Wednesday, 4 April 2018

516 प्यार और शिष्टाचार (Pyar aur shishtachar)

क्यों फँसे  बैठे हो शिष्टाचार में।
कुछ काम करके तो देखो प्यार से।
प्यार का  भंडार अपार है।
भगवान की डोर भी प्यार के हाथ है।

प्यार से करो ,तो काम हो ही जाएगा।
क्योंकि प्यार पर रहता सबका उधार है।
शिष्टाचार सिर्फ तहजीब सिखाती है।
प्यार की रस्म सबको अपना बनाती है।

छोड़ शिष्टाचार ,अपना ले प्यार को।
जो अपनाया प्यार तो सब का बेड़ा पार है ।
516 4 April 2018
Kyon phasei baithe ho shishtachar mein.
Kuch kaam kar ke to Dekho Pyar Mein.
Pyar Ka Bhandar Apaar hai.
Bhagwan Ki Dor Bhi Pyaar Hi ke haath hai.

Pyar Mein Karo Toh Kaam Ho hi Jayega.
Kyunki Pyar par rehta sabka Udhar hai.
Shishtachar sirf Tehzeeb sikhati Hai.
Pyar Ki Rasam Sab Ko apna banati hai.

Chod shishtachar ,Apne Pyar Ko.
Jo Apnaya Pyar ,To Sab Ka Beda Paar Hai.

Tuesday, 3 April 2018

515 उजाले कर दो ( Ujaale kar Do)

आ जाओ मेरे अंधेरों में उजाले कर दो
आ जाओ मेरे सवेरों में रंग भर दो।
खूबसूरत बनाओ जिंदगी को मेरी।
बुझी हुई जिंदगी को मेरे रोशन कर दो।
दुख के रंग ना रहें आस पास,
दूर ले जाओ गम और खुशियां भर दो।
जाना तो सबको ही है एक दिन,
 पर आज को मेरे, तुम खुशहाल कर दो।
515 3 April 2018

Aa Jao ,Mere andheron Mein Ujala kar do.
Aa jao ,Mere Saveron Mein Rang Bhar Do.
Khoobsurat banao Zindagi Ko Meri,
Bujhi Hui Zindagi Mein mere Roshn kar do.
Dukh Ke Rang Na Rahain Aas Paas,
Dur Le Jaao Gham ,aur Khushan Bhar Do.
Jana toh Sabko Hi Hai Ek Din,
Par aaj Ko Mere Tum Kush haal kar do.

Monday, 2 April 2018

514 अच्छे दिन भी आएंगे(Acche din bhi Aayenge)

तेरा मुरझाना मुझ से देखा ना गया।
तेरा यूं नजरें झुकाना मुझ से देखा ना
गया।
हौसला रख कुछ, अच्छे दिन भी आएंगे।
खिलेंगे फूल हर जगह, सब मुस्कुराएंगे।
अभी कुछ कमियां थी,जो फूल पूरे खिल ना सके।
जो खिले लड़ते हुए दुश्वारियों से,
वो भी बहुत देर चल ना सके।
इंतजार है अच्छे दिनों का।
जब सबको सबका हिस्सा मिलेगा।
खिलेंगे फूल हर जगह जब,
और फिर वो फूल मुस्कुराएंगे।
अच्छे दिन भी आएंगे।
514 2 April 2018


Tera Murzhana ,Mujhse dekha Na Gaya.

Tera you Nazrein Jhukana, Mujhse dekha Na Gaya.

Honsla rakh kuch, acche din bhi Aayenge.
Khilenge fool Har Jagah ,sab muskurayenge.

Abhi kuch Kamiyan Thi ,Jo Phool poore Khil Na Sake.

Jo Khile ledte Huye dushwaarion se,
Woh bhi Bahut Der Chal Na Sake.

Intezaar Hai acche Dino Ka.
Jab Sab Ko, Sab Ka hissa milega.
Khilenge fool Har Jagah Jab,
Aur Phir Wo Phool muskurayenge .

Sunday, 1 April 2018

513 वादियो मैं तुमसे दूर जा रहा हूं (Wadiyo Mein Tumse Dur Ja Raha Hoon)

वादियो मैं तुमसे दूर जा रहा हूं।
न जाने अब कब हो मिलना।
बरसो गुजरे अब जाके मुलाकात हुई।
 चंद लम्हात भी ना बीते,
और बिछड़ने की बात हुई।
तेरी यादों में ही अब दिन गुजारूँगा मैं।
तुझे ख्वाबों में ही अब निहारूँगा मैं।
तू समा गई जिंदगी में मेरी,
एक किताब की तरह।
खोल लिया करूंगा पन्ने,
 जब भी तेरी याद हुई।
513  1April 2018

Wadiyo Mein Tumse Dur Ja Raha Hoon.
Na Jane Aab kab ho milna.
Barson guzre , ab jaake Mulakat Hui.
Chand lamhaat bhi Na beete,
Aur bichhadne ki baat hui.
Teri Yaadon Mein Ab Din Guzarunga mein.
Tujhe khwabo Mein Ab Nihaarunga Main.


Tu Sama Gayi Zindagi Mein Meri,
Ek Kitab Ki Tarah.
Kohl liya Karunga Panne,
Jab Bhi Teri Yaad Hui.