तड़पने और तड़पाने का सिलसिला ना जाने कब खत्म हो।
एक नजर भर के देख, दर्द को कुछ आराम तो मिले।
मिलने और बिछड़ने का सिलसिला ना जाने कब खत्म हो।
कुछ सामां तसल्ली से निकाल ,कुछ आराम तो मिले।
वक्त की सदा को कैसे मोडूँ ,जो तकदीर में यही लिखा है।
जरा कुछ इसे बदलने का, फरमान तो मिले।
दूर रहकर भी कैसे करें इलाज ए दिल।
कुछ सोच इस दिल का सनम, इसे कुछ आराम तो मिले।
735 2.28pm 6 Nov 2018
Tadapne Or Tadpane ka Silsila Na Jane Kab khatam ho.
Ek Nazar Bhar Ke Dekh ,Dard ko kuch Aaram to mile.
Milne Aur bechadne Ka Silsila Na Jane Kab khatam ho.
Kuch Samaa tasalli se nikal ,kuch Aaram to mile.
Waqt ki sada ko kaise Modoon ,Ji Taqdeer Mein Yahi likha hai.
Zara Kucg Ise badalne Ka, Farman toh mile.
Dur Rehkar bhi kaise kare Ilage e Dil.
Kuch Soch Is Dil Ka Sanam,I se kuch Aaram to mile.
एक नजर भर के देख, दर्द को कुछ आराम तो मिले।
मिलने और बिछड़ने का सिलसिला ना जाने कब खत्म हो।
कुछ सामां तसल्ली से निकाल ,कुछ आराम तो मिले।
वक्त की सदा को कैसे मोडूँ ,जो तकदीर में यही लिखा है।
जरा कुछ इसे बदलने का, फरमान तो मिले।
दूर रहकर भी कैसे करें इलाज ए दिल।
कुछ सोच इस दिल का सनम, इसे कुछ आराम तो मिले।
735 2.28pm 6 Nov 2018
Tadapne Or Tadpane ka Silsila Na Jane Kab khatam ho.
Ek Nazar Bhar Ke Dekh ,Dard ko kuch Aaram to mile.
Milne Aur bechadne Ka Silsila Na Jane Kab khatam ho.
Kuch Samaa tasalli se nikal ,kuch Aaram to mile.
Waqt ki sada ko kaise Modoon ,Ji Taqdeer Mein Yahi likha hai.
Zara Kucg Ise badalne Ka, Farman toh mile.
Dur Rehkar bhi kaise kare Ilage e Dil.
Kuch Soch Is Dil Ka Sanam,I se kuch Aaram to mile.
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