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Wednesday, 10 April 2019

882 वक्त और लफ्ज़ (Wakt Or Lafz)

कहना चाहा लफ्ज़ों के सहारे,
 पर ज़ुबान ने साथ ना दिया।
नजरों ने जब कुछ कहा तो,
उसके मतलब कुछ और ही निकले।

वक्त भी अजीब होता है।
यह अच्छा या बुरा नसीब होता है।
यह चाहे तो बदल दे जिंदगी पल में।
या ,ना जाने कब यह कहाँ फिसले।

लफ्ज़ों का भी वक्त से रिश्ता है।
सही वक्त पर निकले शब्द,
 इंसान को कहाँ ले जाते हैं।
जो वक्त हो खराब,
न जाने क्या नतीजा  निकले।
12.35pm 10 April 2019 Wednesday


Kehana Chaha Lafson ke Sahare,
Par Zuban Ne Saath Na Diya.
Nazron Ne Jab Kuch Kaha Tu
Uske matlab kuch aur hi nikale.

Waqt Bhi Ajeeb Hota Hai.
Achha ya Bura Naseeb Hota Hai.
Ya Chahe Tu Badal De Zindagi Pal Mein,
Ya Na Jane Kab kahan Phisle.

Lafzon ka bhi waqt Se Rishta Hai.
Sahi Waqt par Nikle shabd
Insaan ko Kahan Se Kahan Le Jaayen.
Jo Bhakt Ho Khraab, ,Na Jane Kya natija Nikle.

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