Followers

Saturday, 24 May 2025

3120 ग़ज़ल न करो

 


2122 1122 1122 22(112)

क़ाफ़िया आया 

रदीफ़ न करो 

देख के दूर से हमको तो सताया न करो।

और दीवाना बना हमको तो जाया न करो।

जान हम भी तो गए तुम तो न चाहो हमको। 

तो परेशान हमें करने यहांँ आया न करो।

माना हमसे हुए तुम गैर के होने को जुदा।

फिर भी अब दुश्मनी हमसे यूँ निभाया न करो।

रोना हमको तो सनम भा ही गया है अब तो।

ख्वाब झूठे से दिखा हमको हंँसाया न करो।

प्यार अपनी नहीं किस्मत में तो लड़े भी कैसे।

जैसी है ठीक,सब्ज बाग दिखाया न करो।

राज़ तुमको है बताया, है भरोसा तुम पर।

बात दोनों के रहे बीच, बताया न करो।

हूंँ बड़ा भोला यह मांँ कहती ही रहती मुझको।

झूठ का पहन मुखौटा यूँ लुभाया न करो।

हूँ पुजारी मैं तो सच का मेरा तो प्यार भी सच। 

प्यार में देके दगा 'गीत' रुलाया न करो।

9.41pm 24 May 2024

2122 1122 1122 22(112)

इसी बहर पर कुछ फिल्मी गीत

हमने देखी है इन आँखों की महकती खुश्बू

ज़िंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात

कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया

No comments: