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Friday, 4 August 2017

K3 00162 शिकवा शिकायत (Shikwa Shikayat)

उनका खत पढ़कर हम हैरान रह  गए।
जो था कहना चाहिए हमें उनको ,
वही वो हमें कह गए।
हम तो इसलिए चुप रहे कि,
होगा एहसास ए गम उनको हमारा।
मगर, वो तो उल्टी दरिया की तरह बह गए।
हमें अभिमानी कहा उन्होंने,
जो मैंने शिकवा न किया।
हम तो मन ही मन उनका दिया गम दे  सह गए।
शिकायत हमने दिल में ही रखी कि,
उन्हें एहसास खुद ही होगा।
मगर, एहसास की बात तो दूर,
वह हमसे ही शिकायत कर गए।
तमीज़ से हम बात नहीं करते उनसे,
वो कहते।।
मगर, हम तो, उनसे बात ही नहीं करते,
यह शायद वो भूल गए।
शायद एहसास ए गम में वो जलते हैं,
तभी तो उनसे रहा न गया।
अपनी बात छुपाने के लिए,
खुद ही शिकायत कर गए।
162 9 Feb 1990
Un ka Khat padh kar Hum hairaan Reh Gaye.
Jo Tha Kehna chahiye Hame unko, wahi wo Hame keh gae.
Hum Toh isliye chup rahe ki Hoga Ehsaas e gum Un ko Hamara.
Magar woh toh Ulti Dariya Ki Tarah Beh Gaye.
Hume abhimaani Kaha Unhonne, Jo  Maine Shikwa na kiya.
Hum Tuo man hi man Unka diya Gum Seh Gaye.
Shikayat Humne Dil Mein Hi Rakhi ki Unhain Ehsaas Khud Hi hoga.
 Magar Ehsaas ki baat toh door, wo Humse Hi Shikayat Kar Gaye.
Tameez Se Hum Baat nahi karte Unse, unhoNe Kaha.
Magar ,Hum To unse baat hi nahi karte,Ye vo Shayad bhool gaye.
Shayd ehsaas e Gum me Vo jalte Hain, Tabhi Toh Unse Raha Na Gaya.
Apni baat Chupane ke liye Khud hi Shikayat Kar Gaye.

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