अब ना जाने क्या इसका अंजाम होगा।
ना जाने कहां कहां तक नाम मेरा बदनाम होगा।
जीते थे हम जिस शान से दुनिया में।
ना जाने क्या हाल उस शान का होगा।
ना जाने कहां कहां.......।
यू तो जी लेते तेरी जुदाई सह कर हम।
तेरी बुराइयों को भी भूल जाते हम।
नहीं सोचा था तेरे ही हाथों यूँ इश्क मेरा बदनाम होगा।
नहीं जानते थे इसका यह अंजाम होगा।
ना जाने कहां कहां.......।।
एक धागा था जोड़ रखा हमने दिल से दिल के तार का।
जी रहे थे सुन थुन उस की झंकार का।
नहीं सोचा था हमने नाकामियों का यूँ पर्दाफाश होगा।
नहीं जानते थे कि उल्फत में हमारा ये हाल होगा।
ना जाने कहां कहां.......।।।
295 22 May 1991
Ab Na Jane Kya Iska Anjaam hoga.
Na Jaane Kahan kahan tak naam mera Badnaam hoga.
Jeete The Hum Gis Shaan Se Duniya Mein.
Na Jane Kya haal Us Shaan ka hoga.
Na Jaane Kahan kahan......
Yun to zee late Teri Judai Seh Kar Hum.
Teri Buraaiyon Ko Nhi Bhool Jate Hum.
Nahi Socha Tha Tere Hi Haathon Yun Ishq Mera Badnaam hoga.
Nahi Jante the Ishq Ka Ye Anjaam hoga.
Na Jaane Kahan kahan........
Ek Dhaga ka Jod Rakha Humne Dil Se Dil Ke taar ka.
Zee Rahe They Sun Dhun Is Ki Jhankar Ka.
Nahi Socha Tha Humne Nakaamiyon ka Yun Parda fash hoga.
Nahi Jante the ki Ulfat Mein Hamara Ye Haal hoga.
Na Jaane Kahan kahan......
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