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Wednesday, 2 January 2019

786 मुझे डर नहीं (Muje Darr Nahin)

कृपा से उसकी,  मैं बढ़ रहा हूं।
 शक्ति से उसकी ,सब कर रहा हूं।।

जो हाथ उसने, रखा है सर पर।
 मुश्किलें मेरी, वह सब हर रहा है।।

मुझे डर नहीं अब किसी भी बला का।
अब मेरी रक्षा ,वह खुद कर रहा है।

सच पर ही चलने का ,साहस है मैंने पाया।
वह मेरे सच की ,रक्षा कर रहा है।।

 आएं चाहे सागर में ,कितनी भी तूफान।
वो मेरी नैया, खुद पार कर रहा है।

कृपा से उसकी,  मैं बढ़ रहा हूं।
 शक्ति से उसकी ,सब कर रहा हूं।।
12.04pm 2Jan 2019

Kripa Se uski Mein bad raha Hun.
Shakti Se viski ,Sab kar raha hoon.

Jo hath usne, Rakha Hai Sar Pe.
Mushkilen Meri ,wo sab Har raha hai.

 Mujhe Dar Nahi ab Kisi bhi bla ka.
Meri Raksha ,wo Khud kar raha hai.

Sach Pe hi chalne ka ,Sahas Hai Maine Paya.
Wo mere Sach ki Raksha ,Khud kar raha hai.

 Aaen Chahe Sagar me, kitne hi Toofan.
Vo Naiyya Meri ,Khud par kar raha hai.

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