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Sunday, 3 September 2017

K3 00152 सँभल जा ए दिल ( Sambhal Ja E' Dil)

क्या करूँ दिल सँभलता नहीं।
बात ऐसी है कुछ कि कोई हौसला करता नहीं।
वह क्या जाने यहाँ दिल की हालत है क्या।
उनको क्या है, जो भी चाहे हो यहाँ।
हमारी जान पे बनती है उनको ख़बर तक नहीं।
क्या करें अब तो दिल हमारा, हमारे बस में नहीं।
बहुत समझाता हूँ इसे,
न जाने क्या होगा इसकी नासमझी का अंजाम।
क्यों नहीं मानता अरे दिल,
कुछ कर दिया तो यह दुनिया ना छोड़ेगी बिन लिए इंतकाम।
क्या करे तू भी ए दिल, बड़ी मुश्किल से होती है सहर से शाम।
बैठा रह यूँही तू, दिन गुजर जाएंगे तेरे।
बहुत बुरा होगा, जो कर बैठा कोई ऐसा काम।
अब तक तो कट जाते हैं दिन तुम्हारे तब भी।
फिर तो कभी न होगी उस सहर की शाम।
152 14 June 1990
Kya Karoon Dil sambhalta Nahi
Baat aisi hai kuch, Ki Koi hasela Karta Nahi.
Wo kya Jane Yahan,  Dil Ki Halat hai kya.
Unko kya hai, jo bhi Chahe ho Yahan.
Hamari Jaan Pe Banti Hai UnKo Khabar Tak Nahi.
Kya Karai  Hum Toh Hamara Dil Hamare Bas Main Nahin.
Bahut samjhata Hoon Ise.
Na Jaane Kya Hoga iski nasamjhi Ka Anjaam.
Kyon nahi manta Hai e' Dil.
Kuch Kar Diya To Ye Duniya na Chori gi Bin Liye inteqaam.
Kya Kare Tu Bhi e' Dil
Badi Mushkil Se Hoti Hai Sehar se Shyam.
Baitha Reh Tu Bhi Yunhi.
Din Guzar Jayenge Tere. Bahut bura hoga Jo Tu kar Baitha koi aisa kaam.
Ab Tak To Kat Jate Hain Din Tumhare tab bhi.
Phir To Kabhi Na Hogi Us Sehar Ki Shyam.

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