9788189331894 53095 BookZindgi1
शरीर हो तो आत्मा चाहिए,
मन हो तो उस पर नियंत्रण।
तन हो तो वस्त्र चाहिए।
राष्ट्र हो तो, जन जन में दीप जलाने के लिए,
देना चाहिए सबको राष्ट्रभाषा अपनाने का निमंत्रण।
जो तुम दोगे इज्जत अपनी भाषा को।
जैसे चाहते हो देना, अपनी माता को।
तो सभी करें इज्जत अपनी भाषा की।
विदेश में भी हो सम्मान अपनी भाषा का।।
क्या करना है, कैसे करना है,
अब करना होगा इसका मंथन।
उम्मीद जगाओ अपनी भाषा को,
जन जन तक पहुंचाने की।
देश में ही नहीं,दूर विदेश पहुंचाने की।
यही है देश को सबकी नजरों में उठाने का मंत्र।
देना चाहिए सब को राष्ट्रभाषा अपनाने का निमंत्रण।
495 13March 2018
Sharir Ho to Atma chahiye.
Mann ho toh uss par niyantran.
Tan ho to Vastar chahiye.
Rashtr ho to Jan jan main deep jalane ke liye.
Dena chahiye Sab Ko rashtr-bhasha Apnaaane ka nimantran.
Jo Tum doge Izzat apni Bhasha ko.
Jaise chahte ho dena apni Mata ko.
Toh Sabhi Karenge Izzat apni Bhasha ki.
Videsh mein bhi ho Samman apni Bhasha ka.
Kya karna hai, kaise karna hai, ab karna hoga iska Manthan.
Ummeed Jgaao apni Bhasha ko,
Jan jan Tak pahuchane ki.
Desh Mein Hi Nahi,
Dur Videsh pahuchane ki.
Yehi Hai Desh Ko Sab Ki Nazron Mein Uthaane Ka Mantr.
Dena chahiye Sab Ko rashtrabhasha Apnane Ka Nimantran.
शरीर हो तो आत्मा चाहिए,
मन हो तो उस पर नियंत्रण।
तन हो तो वस्त्र चाहिए।
राष्ट्र हो तो, जन जन में दीप जलाने के लिए,
देना चाहिए सबको राष्ट्रभाषा अपनाने का निमंत्रण।
जो तुम दोगे इज्जत अपनी भाषा को।
जैसे चाहते हो देना, अपनी माता को।
तो सभी करें इज्जत अपनी भाषा की।
विदेश में भी हो सम्मान अपनी भाषा का।।
क्या करना है, कैसे करना है,
अब करना होगा इसका मंथन।
उम्मीद जगाओ अपनी भाषा को,
जन जन तक पहुंचाने की।
देश में ही नहीं,दूर विदेश पहुंचाने की।
यही है देश को सबकी नजरों में उठाने का मंत्र।
देना चाहिए सब को राष्ट्रभाषा अपनाने का निमंत्रण।
495 13March 2018
Sharir Ho to Atma chahiye.
Mann ho toh uss par niyantran.
Tan ho to Vastar chahiye.
Rashtr ho to Jan jan main deep jalane ke liye.
Dena chahiye Sab Ko rashtr-bhasha Apnaaane ka nimantran.
Jo Tum doge Izzat apni Bhasha ko.
Jaise chahte ho dena apni Mata ko.
Toh Sabhi Karenge Izzat apni Bhasha ki.
Videsh mein bhi ho Samman apni Bhasha ka.
Kya karna hai, kaise karna hai, ab karna hoga iska Manthan.
Ummeed Jgaao apni Bhasha ko,
Jan jan Tak pahuchane ki.
Desh Mein Hi Nahi,
Dur Videsh pahuchane ki.
Yehi Hai Desh Ko Sab Ki Nazron Mein Uthaane Ka Mantr.
Dena chahiye Sab Ko rashtrabhasha Apnane Ka Nimantran.
1 comment:
बहुत सुंदर ढंग से आप ने सभी को कर्त्तव्य की याद दिलाई है। धन्यवाद 🙏👍👍
अनुपमा
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