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Wednesday, 9 May 2018

Z 551 पुराने दोस्त, पुरानी यादें

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पुराने दोस्त, पुरानी यादें ,फिर मिलते ही नया एहसास क्यों।
जो कभी दिखाई भी ना दिए, मिलते ही उमड़ पड़े  जज्बात क्यों।
गुम था मैं गुम थे वो,  अपनी ही धुन में आज तलक।
फिर मिलते ही, एक दूसरे में खो गए क्यों।
कितनी यादें , कितनी फरियादें, कर ली एक दूसरे से।
फिर भी ये दिल भरता नहीं क्यों।
आज तलक भी अकेले, ना थे हम ,और न थे वो।
फिर मिलते ही अकेले होने का एहसास क्यों।
जीवन की इस  भीड़  में रहे हजारों साथ।
फिर तुझसे मिलकर अकेले होने का एहसास क्यों।
क्या तुम से ही जिंदगी में मेरी बहार है।
इंतजार नहीं करता फिर भी तेरा इंतजार क्यों।
चलो आखिर जिंदगी के सफर में तुम मिल ही गए।
अब एक दूसरे से रखें गिला क्यों ,शिकवा क्यों।
चलो मनाएं अब जिंदगी की खुशियां।
जिंदगी को रखें गम से बेजा़र क्यों।

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