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Tuesday, 29 May 2018

572 मेरे सपने (Mere Sapne)

मैंने जो संजोए सपने।
ना हो सके वोअपने।

कहीं यहां गिरे ,कहीं वहां गिरे।
हर जगह अंधेरा लगा है लगने।

आशाएं थी पिरोई कितनी।
ढांडस थे बंधाए सबने।

हम बढ़ते रहे आगे-आगे।
पर पूरे हुए ना सपने।

अभी भी बांधी है आस।
 कैसे बढें इस जग में।

दिन कब खत्म होंगे इंतजार के।
 कब होंगे पूरे सपने।

मैंने जो संजोए सपने।
 ना हो सके वह अपने।

दिन कब खत्म होंगे इंतजार के।
 कब होंगे पूरे सपने।
572 4.07pm 29 May2018
, Mene Jo Sanjoy Sapne.
 Na ho sake Woh Apne.

Kahin Yahan Gire, Kahin Wahan Gire.
Har Jagah Andhera Laga Hai Lagane.

Aashayein thi piroei Kitni.
Dandas The Bandhae Subne.

Hum badhte Rahe Aage Aage.
Par pure Hue Na Sapne.

Abhi bhi Bandei hui hai aas.
 Kaise budde is jag me.

Din kab Khatam Honge Intezar ke.
Kab honge Pure Sapne.

Mene Jo Sanjoy Sapne.
 Na ho sake Woh Apne.

Din kab Khatam Honge Intezar ke.
Kab honge Pure Sapne

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