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Tuesday 1 September 2020

1391 क्या हमें यूंँ आज़माना लाज़मी है? Sher o Shayri

https://youtu.be/icQgZsrHZHU


https://youtu.be/DEQwYBrq4qc


https://youtu.be/OuIkpCzkihQ

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2122 2122 2122

जो तेरा यूँ मुस्कुराना लाज़मी है।

तो मेरा भी गुनगुनाना लाजमी है।


छेड़ जाना तेरा दिल के तार को तो।

मन मेरा भी, गुदगुदाना लाज़मी है।


जो झुका ही ली हैं नज़रें देखकर तो। 

क्या तेरा फिर बुदबुदाना लाज़मी है?


जान पाए थे न तुम क्या कह गए। 

बोल कर क्या चुप हो जाना लाज़मी है।


एक तेरे हुस्न का ढाना सितम वो ।

और फिर, क्या कसमसाना लाज़मी है?


काबु इन जज्बात को करना था मुश्किल।

क्या तेरा फिर उकसा जाना लाज़मी है?


प्यार है,तो है हमें इक दूसरे से ।

क्या हमें यूंँ आज़माना लाज़मी है?

4.31pm 31 Aug 2020