2122 2122 2122 212
काफि़या ( Qafiya) आज़
रदीफ (Radeef) है
आप मेरे दिल में शामिल क्यूँ हुए , ये राज़ है।
आज मेरा दिल तो जैसे ले रहा परवाज़ है।
जान लेके ही बताओगे मुझे, क्या बात है।
धड़कने बजती हैं जैसे, तू ही मेरा साज़ है।
सोचकर तुम को लगा , सुरमइ ये रात है।
दिल के तारों को छू गई जो, तेरी ही आवाज़ है।
सादगी तेरी मैं आँखों में ले के मदहोश हूँ।
भा रहा तेरा मुझे अब ,हर अदा ,अंदाज़ है।
आज ही से जो खो बैठा होश में अपने यहाँ।
कल को क्या हो, किसे पता ये,ये तो बस आगाज़ है।
मेरे दिल ने है चुना तुझे, बस इसी इक बात का।
क्या बताऊं मैं तुझे कितना मुझे जी नाज़ है।
जब देखो खोया ही रहता है ये दिल तो।
आ गया हो जैसे अब इस जिंदगी में पाज़(pause) है।
कर दिया ऐलान दिल ने अपने अंदर से यही
अब तो तू ही बस मेरा ,अब हमसफर हमराज़ है।
12.07pm 18 Septembee 2020 Friday
2 comments:
बहुत बहुत सुंदर रचना।
बहुत प्रभावशाली भी।
धन्यवाद
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