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काफि़या (Qafia) आस Aas
रदीफ़ (Radeef) रखता हूँ। (Rakhta Hun)
तुम्हें चाहा तुम्हें पूजा तुम्हीं से आस रखता हूँ।
हसीं तस्वीर जो तेरी उसे में पास रखता हूँ।
अभी क्या चाहे औरों से जो हो अपने तो कह दो तुम
तुम्हारी हाँ के इक अल्फाज से पुरआस रखता हूं।
न वादा तोड़ना अपना न हमको भूल जाना तुम।
तुम्हें मैं याद रात ओ दिन व बारह मास रखता हूँँ।
तुम्हारे बिन न कोई और आएगा निगाहों में।
तेरी खाके कसम अब तो यहीं उपवास रखता हूँ।
न अब तू तोड़ना वादा जो खाई है कसम वो भी
तू वादे का पक्का है मैं यही विश्वास रखता हूँ।
2 comments:
अति सुंदर रचना।
भावनाओं से ओतप्रोत।
धन्यवाद
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