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Thursday 10 September 2020

1400 मेरी पहली शिक्षक: मेरी माँ

 हम विद्यार्थी हैं  जीवन की इस कक्षा के ।

जीवन की ही, इस जीवन में, शिक्षा लेनी है।


प्रकृति हमें रोज करती है पोषित ।

हमें इसे भी , गुरु दक्षिणा देनी है।


पर माँ ने मुझको प्राण दिए और ज्ञान दिया।

पहली शिक्षक बन आई, जीवन में सम्मान दिया।


वो ना होती तो ना जाने जीवन कैसा होता ।

शायद,कोई बिना ध्येय के हो ,ऐसा होता।


 मेरी पहली शिक्षक मेरी माँ है ।

उस पर जीवन का हर सुख कुर्बान है।


कैसे चलना है, इस जीवन की कक्षा में ।

मैंने जाना उस देवी की सुरक्षा में।


उसने ही मुझे भले बुरे का ज्ञान कराया।

पग पग पर उसने हर आँच से मुझे बचाया।


कैसी रहती थी वह, हर पल ,हर पग, मेरे साथ।

चाहे डाँटती ,पर दिखाती ,कैसे करना है जीवन पथ को पार।


पढ़ने का ज्ञान भी पाया मैंने पहले उससे ।

उसी पढ़ाई की बदौलत हुई पहचान सबसे।


आज हूंँ आपके सामने सफल और संपन्न।

मैं ना चुका पाऊँगा, जीवन भर उसका ऋण। 


सब बच्चों की पहली शिक्षक माँ होती है ।

गरम रेत पर, वो एक ,ठंडी छाँव होती है।


तुम्हें सिखाती है संभल कर हर पग रखना।

और सिखाती कैसे गिरने पर है संभलना।


आओ उसका सत्कर्म से हम मान बढ़ाएं ।

उसका सम्मान करके, अपना जीवन महान बनाएं।

2.58pm10 September 2020


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