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Saturday, 26 September 2020

1416 गज़ल : हम खोए इक दूजे में ऐसे हों

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काफि़या (Qafia) एसे

रदीफ़(Radeef)  हों

हम तुम तुम हम बैठे दोनो पेड़ के नीचे जैसे हों।

ना हो होश हमें हम खोए इक दूजे में ऐसे हों। 


दोनों के दिल की धड़कन धड़के धीरे-धीरे से फिर

उस धड़कन की धुन में खो जाएं हम बैठे ऐसे हों।


तुम भी भूली बिसरी बातें करना फिर अपने मन की

पूछूँ हाल  तुम्हारे दिल का मैं, तुम कहना कैसे हो।

 

सारे जग को भूल के बैठे हों हम  पेड़ के नीचे और

और पहुंच जाएं बैठे हम दूजे जग में  जैसे हों।

11.09am 24 September  2020

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