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काफि़या ( Qafiya)आया
रदीफ (Radeef) है
जो महल हमने इक बनाया है।
हाँ वहीं तेरा बुत सजाया है।
बन गया है महल ,मगर उसको।
देखने कोई गया ना आया है।
छोड़ आया तेरी मैं यादों को।
याद कर कर तुझे भुलाया है।
दिल में इक टीस भी उठी कोई।
तुमने जब जब मुझे हँसाया है।
हादसों से कभी गुजर आया ।
हाँ ,कभी तुमने भी बचाया है।
हाँ उड़ाया मजा़क मैनें भी,
आपने भी न कम उड़ाया है।
11.46am 22 sept 2020
2 comments:
Nice one.....बेहतरीन ।
Thank u ji
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