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(तुमको देखा तो यह ख्याल आया)
रात देखा जो सपने में साया ।
तो तसव्वुर में मैं तुम्हें लाया
आज फिर जाने मैंने सोचा क्यों।
और ख्यालों में तुम को ही पाया।
भूल जाना बहुत ही था मुश्किल।
फिर भी मैं भूलकर तुम्हें आया।
चल नयी कोई खोज करता हूँ।
लुट गया जो ,उसे भुला आया।
कह दे तू मैं नहीं तेरा कोई।
छोड़ रिश्ता मैं था वहीं आया।
10.58pm 21sept 2020
9 comments:
बहुत सुंदर ।
बहुत प्रभावित करने वाली कविता।
इसे धीरे धीरे जो पढ़ेगा उसे मजा आएगा।
कृपया तीसरी पँक्ति का अंतिम शब्द मुश्किल की जगह मुश्किलल लिखा है। आप सुधार दीजिये।
बहुत खूब
वाह वाह
बहुत खूब
धन्यवाद
धन्यवाद
धन्यवाद
धन्यवाद
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