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Friday, 25 September 2020

1415 गज़ल :लुट गया जो उसे भुला आया।

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(तुमको देखा तो यह ख्याल आया)

रात देखा जो सपने में साया ।

तो तसव्वुर में मैं तुम्हें लाया


आज फिर जाने मैंने सोचा क्यों।

और ख्यालों में तुम  को ही पाया।


भूल जाना बहुत ही था मुश्किल।

फिर भी मैं भूलकर तुम्हें आया।


चल नयी कोई खोज करता हूँ।

लुट गया जो ,उसे भुला आया।


कह दे तू मैं नहीं तेरा कोई।

छोड़ रिश्ता मैं था वहीं आया।

10.58pm 21sept 2020

9 comments:

Unknown said...

बहुत सुंदर ।
बहुत प्रभावित करने वाली कविता।
इसे धीरे धीरे जो पढ़ेगा उसे मजा आएगा।


Unknown said...

कृपया तीसरी पँक्ति का अंतिम शब्द मुश्किल की जगह मुश्किलल लिखा है। आप सुधार दीजिये।

Ashok Chhabra said...

बहुत खूब

Ashok Chhabra said...

वाह वाह

Ashok Chhabra said...

बहुत खूब

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद