Followers

Wednesday 23 September 2020

1413 गज़ल: हरेक पल तुझको यार आज़माता है

 1212       1122  1212  22

काफि़या ( Qafiya)आ

रदीफ (Radeef)  है

समय के खेल में ये जिंदगी तमाशा है।

ये खेल हर कोई जी खेलने को प्यासा है।


खुशी के फूल हैं कम और कांँटे  हैं ज्यादा 

ये जिंदगी  इक ऐसा यहाँ इलाका है।


समय के खेल  तमाशे  के मेल में हैं सब।

नतीजा  निकलेगा पर बंद ये लिफाफा है।


पता नहीं इसे, नादानियों में खोया है।

नहीं पता है इसे कि समय ज़रासा है।


ये हार  भूल ,रहा  सोच  जीत के बारे ।

सभी को भूल के ये दाँव जब लगाता है।


 जी भर के हँस तू ज़रा और जिंदगी जी ले।

जी क्यों रहा है ,जैसे बोझ तू उठाता है ।


तू जिंदगी में जो भी कर रहा यहाँ पर है।

हर एक पल तुझी को यार आज़माता  है ।

13.13pm 23 sept 2020

No comments: