212 .212. 212. 212
काफि़या (Qafiya) आरा Aara
रदीफ(Radeef) हुआ
चाह के भी तो तू ना हमारा हुआ।
चाहतों को मेरी ,ना सहारा हुआ।
दी सजा प्यार की तूने मुझको सनम।
कश्ती को ना किनारा गवारा हुआ।
आँख महफिल में तो तुझ पे ही थी लगी।
पर तेरी तरफ से ना इशारा हुआ।
ना सही प्यार तेरा मेरे वास्ते।
यूँ सही, झंझटों से किनारा हुआ।
काट ली जिंदगी काम में हमने भी ।
मत समझ बिन तेरे ना गुजा़रा हुआ।
13.01pm 2020
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