ढूंढते रहे उन्हें दर ब दर, वो न मिला ।
मिला तो सिर्फ एहसास, न निशां मिला ।
चल पड़े हैं फिर इक बार, राह पर उन्हें ढूंढने।
पर जो हो खुद छिप गया, वह कहां मिला।
रास्ते सुनसान, दीवारें चुप ,खामोशियां छाई ।
फिर भी हर राह पर,हर जगह एक तूफान मिला ।
सोचा था खुशियां ही खुशियां होंगी जिंदगी में।
पर मुझे जिंदगी में गम से भरा जहान मिला ।
कोई कुछ भी कहे ,फिर भी मुझको गम नहीं ।
क्योंकि मैं खुशनसीब हूं, मुझको हिंदुस्तान मिला।
11.43am 01 June 2021
2 comments:
आपकी इस कविता की एक बात बहुत विशेष लगी कि इसका एंडिंग बहुत प्रभावशाली हुई।
धन्य हो ।
धन्यवाद
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