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Thursday, 3 June 2021

1666 मिला तो सिर्फ एहसास

 ढूंढते रहे उन्हें  दर ब दर, वो न मिला ।

मिला तो सिर्फ एहसास,  न निशां मिला ।


चल पड़े हैं फिर इक बार, राह पर उन्हें ढूंढने।

पर जो हो खुद छिप गया, वह  कहां मिला।

 

रास्ते सुनसान, दीवारें चुप ,खामोशियां छाई ।

फिर भी हर राह पर,हर जगह एक तूफान मिला ।


सोचा था खुशियां ही खुशियां होंगी जिंदगी में।

पर मुझे जिंदगी में गम से भरा जहान मिला ।


कोई कुछ भी कहे ,फिर भी मुझको गम नहीं ।

क्योंकि मैं खुशनसीब हूं, मुझको हिंदुस्तान मिला।

11.43am 01 June 2021

2 comments:

Unknown said...

आपकी इस कविता की एक बात बहुत विशेष लगी कि इसका एंडिंग बहुत प्रभावशाली हुई।
धन्य हो ।

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद