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Thursday, 17 June 2021

1680 Nazam नज़्म गीत : हाल हमने था जो लिखा खत में

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प्यार मैंने ,जो था लिखा खत में ।

याद तेरी पिरो लिखा खत में ।


दूर हालात ने किया हमको, 

रोए फिर हम ,जो थे लिखा खत में ।


खत को लिखते हुए बहे आँसू ।

वो स्याही लगा लिखा खत में ।


दूरियाँ दरमियाँ बनी चाहे। ।

फिर मिलेंगे कभी, लिखा खत में ।


खत लगा सीने से ये समझा था , 

पास हो तुम मेरे, लिखा खत में ।


बाँध मजबूरियाँ लिफाफे में,

तेरे घर का पता लिखा खत में।


यूँ लगा लिखके दिल की बातों को

बोझ हल्का हुआ ,लिखा खत में।

 10.20am 17 June 2021

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