चाय हाय ...तेरा नशा .....
यह कैसा नशा .....
मोदी भी इससे नहीं बचा..
चाय की... क्या बात है ।
तुझी से दिन की शुरुआत है।
तुझसे ही शाम ढले ....
और.. मिलता आराम है ।
चाय हाय ...तेरा नशा ....
कितनी प्यारी है तू....
कभी दूध में मिलाकर
कभी नींबू चटका कर
अलग अलग स्वाद से तू
भर आये है।
कितना मजा आए हैं ।
चाय... हाय... तेरा नशा ...
कभी हल्की ब्राउन ,
कभी डार्क ब्राउन
तेरे रंग पर मैं वारी वारी जाऊं।
तेरे सामने आते ही मैं खुश हो जाऊं ।
चाय हाय.. तेरा नशा..
कितनों के दिल का सुकून है ।
कितनों का ही तू जनून है।
कितने तुझे पा गर्व फरमाए ।
और खुश हो जाएं ।
चाय हाय.. तेरा नशा ...
तू मिले तो हर मेहमान ,
खुद को खुशकिस्मत समझे ।
नहीं तो सोचे ....
कर दिया यूँ ही मुझको चलते ।
तुझे पाकर वह अपनी इज्जत समझे ।
चाय हाय... तेरा नशा...
5.00pm 5 june 2021
7 comments:
अच्छी कविता करती है आप
अच्छी कविता करती है आप
धन्यवाद
Wah ji bahut badiya
Thanks ji
जीशुक्रिया जी
जीशुक्रिया जी
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