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Saturday, 5 June 2021

1668 चाय हाय ...तेरा नशा .....

चाय हाय ...तेरा नशा .....

यह कैसा नशा .....

मोदी भी इससे नहीं बचा..


चाय की... क्या बात है ।

तुझी से दिन की शुरुआत है।

तुझसे ही शाम ढले ....

और.. मिलता आराम है ।

चाय हाय ...तेरा नशा ....


कितनी प्यारी है तू....

कभी दूध में मिलाकर

कभी नींबू चटका कर 

अलग अलग स्वाद से तू 

भर आये है।

 कितना मजा आए हैं ।

चाय... हाय... तेरा नशा ...


कभी हल्की ब्राउन ,

कभी डार्क ब्राउन 

तेरे रंग पर मैं वारी वारी जाऊं।

तेरे सामने आते ही मैं खुश हो जाऊं ।

चाय हाय.. तेरा नशा.. 


कितनों के दिल का सुकून है ।

कितनों का ही तू जनून है।

कितने तुझे पा  गर्व फरमाए ।

और खुश हो जाएं ।

चाय हाय.. तेरा नशा ...


तू मिले तो हर मेहमान ,

खुद को खुशकिस्मत समझे ।

नहीं तो सोचे ....

कर दिया यूँ ही मुझको चलते ।

तुझे पाकर वह अपनी इज्जत समझे ।

चाय हाय... तेरा नशा...

5.00pm 5 june 2021

7 comments:

Ranbir Balwada said...

अच्छी कविता करती है आप

Ranbir Balwada said...

अच्छी कविता करती है आप

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

धन्यवाद

Unknown said...

Wah ji bahut badiya

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

Thanks ji

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

जीशुक्रिया जी

Dr. Sangeeta Sharma Kundra "Geet" said...

जीशुक्रिया जी