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Wednesday, 30 June 2021

1693 जिंदगी की पहेलियां तो है उलझी उलझी

 कौन जाने कब कहाँ रास्ते बदल जाएं।

सीधे रास्ते चलते हुए मोड़ तीखे आ जाएं।।

सोचा हो मिलेगी मंजिल, इस राह पर मुझे,

पर रास्ते में तुम्हारे पस्त होंसले हो जाएं।

देखो

जिंदगी के रास्ते तो हैं ऊँचे नीचे।

सभी से इल्तजा रास्तों से न घबराएं।

जिंदगी की पहेलियां तो है उलझी उलझी,

ले मजा जिंदगी का उन्हें  सुलझाएं।

न भी सुलझे कोई पहेली, गम न कर ।

जिंदगी से नई पहेली पूछते जाएं।

5.03pm 30June 2021

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