दौलत के पीछे लगा, सारा ये संसार ।
मानव ये सोचे नहीं, जाना है उस पार।।
कोशिश तुम करते रहो, मत मानो तुम हार ।
जीवन में तो कर्म ही, जीने का आधार। ।
आओ कुछ अच्छा करें ,मिलजुल कर हम काम।
पूरा करके ही सभी, लें आखिर विश्राम।।
राह दिखाएं रहनुमा, देकर हमको ज्ञान ।
लेकर उनकी सीख हम,बन जाए्ं विद्वान।।
4.38pm 23 June 2021
2 comments:
शब्दो की तुकबन्दी बहुत ऊत्तम है।आपने कविता की एंडिंग भी पॉजिटिव रखी है।सराहनीय।
Thanks ji
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