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Qafia alti काफि़या अलती
Radeef hai, रदीफ. है
पहले चिंगारी एक पलती है।
इश्क की आग फिर ये जलती है।
तोहमतें क्यों लगाती है दुनिया।
प्यार करना..ये कोई गलती है।
मन में तस्वीर जब सजाता हूं ।
हर तमन्ना मेरी मचलती है।
बैठ जाता हूँ थाम दिल अपना ।
जब तू हिरनी सी चाल चलती है ।
देख चेहरा तेरा ये लगता है।
सुरमई शाम जैसे ढलती है ।
सुर्ख गेसु लटकते लगते हैं ।
चाँदनी रात जैसे फलती है ।
आ भी जाओ सनम..के बाहों में ।
दूरी दिल को बहुत ये खलती है ।
3.20pm 15 June 2021
4 comments:
nice
वाहहहहह संगीता जी👏👏👏👏👏🙏🌹🙏
धन्यवाद जी
Thanks ji
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